महंगे मोबाइल फोन रखने का शौक तब अफसोस में बदल जाता है जब हाथ से गिरकर उसकी स्क्रीन पर दरार आ जाए या भीड़भाड़ वाली जगह में कोई मोबाइल मार ले। यह दिक्कत सिर्फ भारत में नहीं, विदेश में भी एक जैसी है। ब्रिटेन पुलिस के साल 2022 के आंकड़े बताते हैं कि वहां हर रोज 249 फोन चोरी हुए। भारत की बात करें तो मुंबई में साल 2021 में 48,856 मोबाइल फोन चोरी हो गए यानी हर रोज शहर में फोन चोरी का औसत 134 था। यानी फोन चोरी का खतरा और फोन गिरकर टूटने की रिस्क हर यूजर महसूस करता है। यही वजह है कि अब लोग फोन लेते समय उसके साथ मिल रहे मोबाइल इंश्यारेंस प्लान में भी दिलचस्पी ले रहे हैं। मोबाइल इंश्योरेंस प्लान कई तरह के बिकते हैं। इन्हें मोबाइल बनाने वाले, रिटेल स्टोर, ऑनलाइन प्लैटफॉर्म से लेकर क्रेडिट कार्ड कंपनियां तक देती हैं।
क्रेडिट कार्ड के मामले में अमूमन कंपनी की शर्त बस यह रहती है कि आप अपने फोन का महीनेवार बिल का भुगतान हमारे क्रेडिट कार्ड से करिए, आपके हैंडसेट का इंश्योरेंस साथ में मिलेगा। टेलिकॉम सेक्टर से जुड़े पंकज शर्मा बताते हैं, लोगों में अभी मोबाइल इंश्योरेंस को लेकर बहुत जागरूकता नहीं। अगर आप स्टोर से फोन खरीदते हैं तो वहां पर आपको इसके बारे में कोई न कोई जानकारी जरूर देगा। ऑनलाइन खरीद में ऐसा नहीं होता। फोन को इंश्योर्ड कराने की जरूरत हर किसी को महसूस होती है। सबसे ज्यादा डैमेज स्क्रीन के मामले में होता है। अमूमन स्क्रीन पर क्रैक आ ही जाते हैं। अभी जो ट्रेंड दिख रहा है, उसमें हम देख रहे हैं कि बीस हजार रुपये तक फोन वाले भी इंश्योरेंस प्लान ले रहे हैं। हालांकि कस्टमर प्लान की मांग खुद नहीं करता। काउंटर पर खड़े शख्स से ही उसे जानकारी मिलती है।
ये प्लान कौन ऑफर करता है, इस बारे में पंकज बताते हैं, प्लान तीन स्तर पर बेचे जाते हैं। एक, थर्ड पार्टी के जरिए। इसमें होता यह है कि फोन डीलर को 25% तक कमिशन मिलता है।
मान लीजिए एक लाख के हैंडसेट पर दस हजार का इंश्योरेंस प्लान डीलर ने बेचा तो उसमें 2500 रुपये उसका कमिशन बन गया। इसी तरह हैंडसेट बनाने वाली कंपनियां भी इंश्योरेंस प्लान बेचती हैं। ये स्टोर्स पर अपने सेल्स एग्जेक्युटिव रखती हैं और प्लान बेचने पर कमिशन अपने इन एग्जेक्युटिव को इंसेन्टिव के तौर पर देती हैं। मसलन, दस हजार का फोन आपने लिया तो कंपनी के ये सेल्स एग्जेक्युटिव 500 रुपये और मांगकर आपको इंश्योरेंस प्लान ऑफर करेंगे। इस तरह के प्लान में कस्टमर का फायदा यह रहता है कि जब भी डिफेक्ट आता है, उसे सीधे कंपनी के सर्विस सेंटर पर जाकर मुफ्त में रिपेयरिंग मिल जाती है। बस जीएसटी देना होता है। सीधे कंपनी और कस्टमर के बीच मामला रहता है तो क्लेम में आनाकानी नहीं होती। आपके फोन और आपकी डिटेल्स भी तीसरे पक्ष को नहीं जातीं। इसके अलावा फाइनेंस कंपनियां भी सीधे प्लान बेचती हैं। अपने ऑफर को लुभावना बनाने के लिए वह कई तरह के ऑफर देती हैं।
अमूमन फोन इंश्योरेंस के साथ कई तरह की शर्तें भी होती हैं। मसलन, आपको प्लान नए फोन की खरीद के तय समय के भीतर लेना होगा। अमूमन यह एक हफ्ते से लेकर महीने तक का समय होता है। हालांकि ब्रिटेन की गैजेट इंश्योरेंस कंपनी स्विच्डऑन इंश्योरेंस तो 36 महीने तक पुराने फोन के लिए भी इंश्योरेंस प्लान लाई थी। अगर मार्केट की बात करें तो नॉर्थ अमेरिका मोबाइल इंश्योरेंस प्लान का सबसे बड़ा बाजार है। कई कंपनियां पूरे हैंडसेट के साथ-साथ सिर्फ स्क्रीन प्रोटेक्शन प्लान भी ऑफर करती हैं। पूरे हैंडसेट वाले प्लान के बजाय ये स्क्रीन प्लान सस्ते होते हैं।