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12 Jul 2025, Sat

आक्रांताओं का महिमामंडन स्वीकार नहीं, ‘जेठ मेले’ पर विवाद के बीच बहराइच में बोले CM योगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहराइच में तहसील का उद्घाटन करने पहुंचे। वहां पर उन्होंने कहा कि महराज सुहेलदेव के पराक्रम और शौर्य की परिणति थी कि 150 साल तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर पाया। पिछली सरकारें सिर्फ घोषणा करती थीं, लेकिन आज ये तहसील बन गई है।
मैं स्वयं इस तहसील को आपको समर्पित करने आया हूं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि यहां के अधिकारी बहराइच में रहेंगे, वो यही रहेंगे, उनके लिए आवास की व्यवस्था यहीं की गई है। यही व्यवस्था हर तहसील,थाने पर की गई है। रात से समय यहीं रुककर आराम करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी।
किसी देशद्रोही को स्वीकार नहीं किया जा सकता
सीएम योगी ने कहा कि यहां के लोग भेड़िये के आतंक से परेशान थे। उसने यहां जनहानि की थी। जनहानि की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन उसके लिए मुआवजा तत्काल उपलब्ध करवाया जाता है। यह वहीं जनपद है जहां कभी अव्यवस्था अराजकता थी, अब ऐसा नहीं है। किसी भी आक्रांता का महिमामंडन करने का मतलब देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है। स्वतंत्र भारत किसी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता।
बहराईच का विश्व प्रसिद्ध जेठ मेला हर साल मई-जून में लगता है। सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगता है। योगी के बयान से साफ है कि इस मेले पर संकट है। क्योंकि हिंदू संगठन मेले का आयोजन न करने पर अड़े हैं। मंत्री अनिल राजभर ने भी कहा कि मेले का आयोजन नहीं होने देंगे।
खासकर जो भारत के महापुरुषों को अपमानित करता हो, उन आक्रांताओं का महिमामंडन करता हो। इन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदने का काम किया था। हमारी आस्था पर प्रहार किया था,उसे आज का नया भारत कतई स्वीकार नहीं कर सकता।
आम जनता के तहसील का होना जरूरी
सीएम योगी ने कहा कि एक सामान्य नागरिक का सबसे ज्यादा काम एक तहसील से पड़ता है। चाहे वो भूमि संबंधी रिकॉर्ड हों, उसके पैमाइश की कार्रवाई हो या फिर लैंड यूज से जुड़ी हई सभी मामलों का निस्तारण का केंद्र तहसील है। आपको अपने विरासत को आगे बढ़ाना हो और खेत के कागजात आपको चाहिए तो उसका केंद्र तो तहसील है। जब तहसील का अपना भवन ही नहीं होगा, तो आम नागरिक को क्या न्याय मिल पाएगा? 2017 में भारतीय जनता पार्टी के डबल इंजन की सरकार प्रदेश में आई और उस समय 33 लाख से ज्यादा राजस्व के ऐसे मामले थे जो लंबित पड़े थे। जिसमें नामांत्रण, विरासत और लैंड यूज के मामले थे। आप खुद सोचिए कि अगर 33 लाख मामले लंबित हैं तो गांव-गांव में मारपीट के मामले होना, दबंगों के द्वारा गरीबों की जमीन हथिया लेना एक आम बात रही होगी।

By Aryavartkranti Bureau

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