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17 Oct 2024, Thu

परिवार नियोजन को कुल प्रजनन दर की परिधि से बाहर लायें: प्रमुख सचिव स्वास्थ्य

• विश्व गर्भ निरोधक दिवस पर आयोजित हुआ प्रदेशस्तरीय मंथन
• तीन विभागों के प्रमुख सचिव हुए शामिल, दिए सुझाव

लखनऊ। परिवार सीमित करने के बजाय परिवार प्लान करने का संदेश दिया जाए… आशा के घर पर कंडोम व अन्य गर्भनिरोधक उपलब्ध कराए जाएं ताकि स्थानीय लोग कभी भी प्राप्त कर सकें…सिर्फ टीएफआर (टोटल फर्टिलिटी रेट) घटाने पर ही जोर न दिया जाए, परिवार नियोजन में युवाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए यौन शिक्षा को स्कूल स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाए…, नवजात शिशुओं की सुरक्षा, उनका टीकाकरण सुनिश्चित करके भी युवाओं को परिवार नियोजन की ओर बेहतर तरीके से आकर्षित किया जा सकता है। कुछ इस तरह के सुझाव गुरुवार को होटल रैनेसा में हुए अंतरविभागीय मंथन में निकल कर आए।
विश्व गर्भनिरोधक दिवस के मौके पर परिवार कल्याण निदेशालाय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वाधान में स्वयंसेवी संस्था ममता के सहयोग से आयोजित इस राज्यस्तरीय कार्यशाला के पहले सत्र में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, महिला कल्याण एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी, समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ हरिओम और मेरठ की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) नुपुर गोयल शामिल हुईं। सत्र को माडरेट किया बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के डॉ गुंजन तनेजा ने।
प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि हमें परिवार नियोजन को कुल प्रजनन दर की परिधि से बाहर लाकर देखना होगा और पांच सूत्रीय रणनीति के साथ हर स्तर पर सेवाओं की सुविधा पर ध्यान देना होगा जिसमे ग्राम स्तर पर छाया ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस, सभी विभागों के प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओ के क्षमतावर्धन, आयुष्मान आरोग्य मंदिरो पर दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता, सभी विभागों के बीच समन्यव और पूरे समाज की जन सहभागिता बढाना शामिल है। उन्होंने कहा कि सास बहू बेटा सम्मेलन में बेटे-बेटियों को गर्भधारण के बारे में बताया जाना चाहिए।
प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने कहा कि महिला कल्याण और बाल एवं पुष्टाहार विभाग कई कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से माँ-बच्चे के पोषण और स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है जैसे प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ योजना, आंगनबाणी केंद्र पर गोदभराई और काउंसिलिंग, वन स्टाप सेंटर के माध्यम से निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना, संभव अभियान, विभिन्न बाल एवं महिला शरणालयों में देखभाल, कन्या जन्मोत्सव और इनमे से अधिकतर गतिविधियाँ स्वास्थ्य विभागं के सहयोग से सम्पादित होती हैं।
प्रमुख सचिव डॉ हरिओम ने कहा कि हमें स्वस्थ भविष्य के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा। इससे नई पीढ़ी परिवार नियोजन के बारे में स्वतः जागरूक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में जबरदस्त सुधार हुआ है। हमें परिवार नियोजन से जुड़ी सुविधाएं सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हमेशा उपलब्ध रखनी होंगी ताकि जब जो चाहे वह अपने हिसाब से गर्भनिरोधक प्राप्त कर सके।
मेरठ की सीडीओ नुपुर गोयल ने परिवार नियोजन के प्रभावी तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मेरठ में जिन गांव में बाल विवाह होता पाया जाता है उनकी टीम वहां काम करती है। इसी तरह सामुहिक विवाह वाले स्थानों पर उन्होंने कंडोम बंटवाने का काम किया। बीएमजीएफ के स्टेट प्रोग्राम अधिकारी डॉ. गुंजन तनेजा ने कहा कि आज के मंथन की शुरुवात गर्भ निरोधकों से हुई और संचार, समन्वय और सहयोग के साथ आगे बढ़ने पर सहमति बनी।
दूसरे सत्र में परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक डॉ नरेंद्र अग्रवाल और एनएचएम के महाप्रबंधक डॉ सूर्यांश ओझा ने परिवार नियोजन पर किए गए उल्लेखनीय कार्यां के बारे में चर्चा की। कार्यशाला में स्वास्थ्य और अन्य विभागों के अधिकारियों के अलावा एनएचएम के अधिकारी और सहयोगी संस्थाओं यूपीटीएसयू, सीफार, पीएसआई, पीएचएफआई, केजीएमयूगूंज, एक्सेस हेल्थ, आइपास व जपाइगो के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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