केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से यूनिफाइड पेंशन स्कीम चुनने का मौका दे रही है। सरकार की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, जिन केंद्रीय कर्मचारियों ने 1 अप्रैल 2025 से 31 अगस्त 2025 के बीच सेवा ज्वाइन की है। वह राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को छोड़कर एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) में स्थानांतरित हो सकते हैं।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि यह विकल्प 30 सितंबर 2025 तक इस्तेमाल किया जा सकता है। यह समयसीमा उन अन्य पात्र श्रेणियों के लिए पहले से तय की गई तिथि के अनुरूप है, जिन्हें यूपीएस में शामिल होने का मौका दिया गया है। सरकार ने 1 अप्रैल, 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत यूपीएस को एक विकल्प के रूप में पेश किया है। यूपीएस कर्मचारियों को सुनिश्चित भुगतान प्रदान करेगा।
यूपीएस उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू है, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं और एनपीएस के तहत इस विकल्प को चुनते हैं। यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प 23 लाख सरकारी कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
24 अगस्त को दी गई थी यूपीएस को मंजूरी
24 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीएस को मंजूरी दी। पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। ओपीएस के विपरीत यूपीएस अंशदायी प्रकृति का है, जिसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत अंशदान करना होगा, जबकि नियोक्ता (केंद्र सरकार) का अंशदान 18.5 प्रतिशत होगा। हालांकि, अंतिम भुगतान उस धनराशि पर बाजार रिटर्न पर निर्भर करता है, जो कि अधिकांशतः सरकारी ऋण में निवेशित होती है।
यूपीएस में योगदान और पारदर्शिता
नियमों में यह साफ किया गया है कि यूपीएस में कर्मचारी और सरकार का अंशदान कैसे होगा।
वेतन से कटौती और सरकार द्वारा जमा की जाने वाली रकम पूरी तरह पारदर्शी तरीके से दर्ज होगी।
अगर अधिकारियों की गलती से पंजीकरण में देरी होती है या योगदान समय पर जमा नहीं होता, तो कर्मचारी को मुआवजा दिया जाएगा, ताकि उसे किसी प्रकार का नुकसान न हो।