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31 Jul 2025, Thu

ब्रिटेन के पब में बिकेगी फेणी और ताड़ी, सालाना इतने बिलियन डॉलर का होगा एक्सपोर्ट

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के पारंपरिक शिल्प पेय जैसे गोवा का फेणी, नासिक की हस्तशिल्प वाइन और केरल का ताड़ी अब यूके में भी मान्यता पाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने के बाद यह संभव हो पाया है।
इस समझौते के बाद भारतीय पारंपरिक पेय न सिर्फ भौगोलिक संकेत (जीआई) संरक्षण पाएंगे, बल्कि यूके जैसे विकसित बाजारों में भी पहुंच बना सकेंगे, जहां प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इन पेयों को शामिल करने से ब्रिटेन में रहने वाले लोगों को अलग स्वाद और खास फ्लेवर मिलेगा।
GI टैग के साथ होगी बिक्री
एफटीए से न सिर्फ पारंपरिक भारतीय शिल्प पेय यूके के स्टोर में स्कॉच व्हिस्की और अन्य ब्रांड्स के साथ शेल्फ पर दिखेंगे, बल्कि यह होटल-रेस्टोरेंट जैसे विशेष बाजारों तक भी पहुंचने में मदद करेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक अधिकारी यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया, गोवा का फेणी, नासिक की वाइन और केरल की ताड़ी जैसे भारतीय शिल्प पेय अब भौगोलिक संकेत (जीआई) संरक्षण के साथ यूके के हाई-एंड रिटेल और हॉस्पिटैलिटी चैन में जगह पाएंगे।
2030 तक इतने बिलियन का होगा एक्सपोर्ट
सरकार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि वह भारतीय अल्कोहलिक ड्रिंक्स के निर्यात को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। हालांकि यह क्षेत्र नया है, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि 2030 तक भारत का अल्कोहलिक ड्रिंक्स का निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो फिलहाल 370।5 मिलियन डॉलर है। इस साल अप्रैल में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कहा था कि भारतीय अल्कोहलिक ड्रिंक्स के पास वैश्विक बाजार में बड़ी संभावनाएं हैं और देश में जिन, बीयर, वाइन और रम जैसे कई क्वालिटी प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं जो विदेशों में बेचे जा सकते हैं। अभी भारत दुनिया में अल्कोहलिक ड्रिंक्स के निर्यात में 40वें नंबर पर है और आने वाले वर्षों में टॉप 10 निर्यातकों में शामिल होने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का अल्कोहलिक ड्रिंक्स का निर्यात 2,200 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। यूएई, सिंगापुर, नीदरलैंड, तंजानिया, अंगोला, केन्या और रवांडा इसके प्रमुख बाजार रहे।

By Aryavartkranti Bureau

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