न्यूयॉर्क। तीस साल पहले दुनियाभर के नेताओं ने एक ऐतिहासिक ब्लूप्रिंट को स्वीकार किया था, जिसमें लैंगिक समानता के लक्ष्य को हासिल करने की बात थी। हालांकि तीन दशक बीत जाने के बाद भी समाज में महिलाओं की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, समाज में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हमले की घटनाएं अभी भी लगातार जारी हैं। इसका समाज और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई, जिसमें कहा गया है कि दुनिया के एक तिहाई देशों में तो बीते साल महिलाओं अधिकारों के खिलाफ विरोध भी हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में तरक्की हुई है, जिसमें लड़कियों की शिक्षा और परिवार नियोजन आदि हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा अभी भी चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर 10 मिनट में एक लड़की की उसके ही परिजनों या रिश्तेदारों द्वारा हत्या की जा रही है। महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं साल 2022 की तुलना में 50 फीसदी तक बढ़ गई हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय जारी की गई है, जब 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सिर्फ 87 देश ऐसे हैं, जिनका नेतृत्व महिला नेता द्वारा किया जा रहा है या किया गया।
बीजिंग सम्मेलन में लैंगिक भेदभाव से निपटने का घोषणा पत्र हुआ था जारी
उल्लेखनीय है कि साल 1995 में बीजिंग में महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ था, जिसमें 189 देश शामिल हुए थे। उस सम्मेलन में 150 पन्नों का घोषणा पत्र पारित किया गया था, जिसमें दुनिया में लैंगिक समानता की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई थी। इसके लिए गरीबी से लड़ने, लिंग के आधार पर हिंसा को रोकने और व्यापार, सरकार और शांति वार्ता आयोजनों में महिलाओं को शीर्ष भूमिका देने की वकालत की गई थी। इस सम्मेलन में जननांग संबंधी स्वास्थ्य और प्रजनन संबंधी अधिकार महिलाओं को देने की बात कही गई थी। अब उस घोषणा पत्र की समीक्षा में पाया गया है कि लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी दुनियाभर में महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
समाज में अभी भी लैंगिक भेदभाव और महिलाओं पर हमलों की घटनाएं आम, UN की रिपोर्ट में दावा
