आंवला औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका स्वाद खट्टा और थोड़ा मीठा होता है। इससे कई तरह की डिशेज और चटनी बनाई जाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें कैलोरी कम, कार्ब्स, फाइबर, कॉपर, मैंगनीज, पोटेशियम, विटामिन बी 5 और 6 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका उपयोग बालों को मजबूत और स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए भी किया जाता है। कई लोग सुबह खाली पेट इसका जूस पीना पसंद करते हैं। लेकिन आप बाजार से आंवला खरीदने की जगह घर पर नेचुरली इसे उगा सकते हैं।
अगर आप भी किचन में या फिर स्किन और बालों की केयर के लिए आंवला का उपयोग करते हैं, तो इसे आप छत या फिर आंगन में गमले में उगा सकते हैं। इसे ज्यादा जगह की जरूरत होती है। इसे उगाना बहुत आसान है, लेकिन इसमें समय लगता है। आइए जानते हैं किस तरह गमले में लगाएं आंवला और देखभाल के टिप्स
बीज से आंवले का पौधा उगाना
आंवले को बीज से उगाने के लिए बड़े और पके हुए आंवला से ताजे बीज निकालें। बीजों को सॉफ्ट करने के लिए उन्हें 24 घंटे के लिए पानी में भिगोएं या धूप में सुखाएं। अब इसे तोड़कर अंदर से बीज निकाल लें। अब वर्मीकम्पोस्ट और कोकोपीट दोनों को बराबर मात्रा में लें और इसे मिलाकर हल्का गीला कर लें। ड्रेनेज हॉल वाला पॉट लेकर उसमें मिट्टी के मिक्सर को भर दें। सीड्स को लगभग 1 सेंटीमीटर गहरा लगाएं। अब इसमें पानी दें। जर्मिनेशन होने तक इसमें नमी बनाए रखना जरूरी होता है। सेमी शेड एरिया में रखें यानी कि ऐसी जगह जहां पौधे को धूप और छांव दोनों मिले। 25 से 30 दिन में कुछ सीड्स जर्मिनेट हो जाएंगे। दूसरे पौधों की तुलना में आंवले की बीज को जर्मिनेट होने में ज्यादा समय लगता है।
आंवले के पौधे को ऐसी मिट्टी चाहिए जिसमें पानी ज्यादा देर तक न रुके और मिट्टी न्यूट्रिएंट्स वाली होनी चाहिए। इसके लिए बराबर मात्रा में गार्डन सॉइल, वर्मीकम्पोस्ट या गोबर खाद और रेत लें। इसमें एक मुट्ठी नीमखली पाउडर भी मिलाएं, ये नेचुरल एंटी-फंगल का काम करेगा। एक 8 इंच के गमले में यह मिश्रण भरें। सीडलिंग को ध्यान से फोक की मदद से निकाले ताकि जड़ों को नुकसान न पहुंच पाए। इसे गमले में लगा दें। अच्छी तरह से पानी दें और ऐसे जगह पर रखें जहां सुबह की 3 से 4 घंटे की धूप पौधे को मिले। पानी तभी दें जब ऊपरी मिट्टी छूने पर सूखी लगे। ज्यादा पानी देने से पौधा गल सकता है। इसके 2 महीने के बाद पौधे की ग्रोथ होने लगेगी। एक महीने बाद पौधे को ऐसी जगह पर रख दें जहां उसे दिन भर धूप मिल सके। क्योंकि आंवले के पौधे को सही ग्रोथ के लिए धूप की जरूरत होती है। इसे सही से ग्रोथ होने में 1 साल से ज्यादा का समय लग सकता है। बीज से उगाए गए इस पौधे को अगर जमीन में उगाया जाए, तो 7 से 8 साल बाद उसमें फल नजर आएंगे। गमले में लेग पौधे में फल नहीं आते हैं, लेकिन ग्राफ्टिंग या एयर लेयरिंग तकनीक का उपयोग किया जाए, तो 2 से 3 साल में ही इसमें आंवला नजर आने लग सकते हैं।
ग्राफ्टिंग तकनीक
एक साल पुराने पौधे पर ग्राफ्टिंग के लिए अगस्त से नवंबर का महीना सबसे अच्छा होता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें बीज से उगाए गए पौधे के रूटस्टॉक को बीच से काटकर उस पर फल देने वाले बड़े पेड़ की कलम यानी की सायन को जोड़ा जाता है।अगर आपके घर के आसपास आंवले का कोई पेड़ है तो उसकी कटिंग ले सकते हैं। अब रूटस्टॉक से 2 से 3 इंच ऊपर से काटें। साफ कटर का उपयोग करें। अब 4 से 5 इंच ब्रांच का टुकड़ा लेकर इसके ऊपर से पत्तियों को हटा दें। कलम को आगे-पीछे से तिरछा काटें ताकि वह रूटस्टॉक के कट में ठीक से फिट हो जाए। कलम को रूटस्टॉक में फंसाकर ग्राफ्टिंग टेप या सेलोटेप से कसकर बांध दें ताकि वह वाटरप्रूफ हो जाए।
अब इसे ट्रांसपेरेंट पॉलीथीन से कवर करके हल्का ढीला बांध दें। इसे सेमी-शेड वाली जगह पर रखें। इसे पानी तभी दें जब सुखने पर ऊपर की मिट्टी सुखी लगें। कुछ दिनों या महीने में नई शाखाएं और पत्तियां आ जाएगी। तेजी ऐसी जगह रखें कि इसे सुबह से 2 से 3 घंटी के धूप मिल सके। क्योंकि इसके पत्ते नाजुक हैं, इसलिए इसे तेज धूप में नहीं रखना है। फ्लावरिंग होने के बाद आर्गेनिक कम्पोस्ट देकर पौधे को फर्टिलाइजर करनी चाहिए। फूल आने के बाद उसमें पानी कम देना है। फूल आने के कुछ महीने बाद इसमें आंवले लगे नजर आने लगेंगे।
एयर लेयरिंग
जब पौधे में बहुत सारे आंवला आने लग जाए, तो आप एयर लयरिंग कर एक नया पौधा बना सकते हैं। इसके लिए फरवरी से मार्च और जून से सितंबर सही रहता है। इसके लिए ब्लेड से शाखा पर आधे इंच की दूरी पर दो गोल कट लगाएं। बीच की स्किन को निकाल दें। ब्रांच की एक सफेद लेचर को खुरच कर थोड़ा छील लें। प्याज का रस लें और कट के ऊपर लगाएं। आप रूटिंग हार्मोन पाउडर, एलोवेरा जेल या हल्दी का भी उपयोग कर सकते हैं। 50% वर्मीकम्पोस्ट और 50% सामान्य मिट्टी को मिलाकर अच्छी तरह से गीला कर लें। इस गीली मिट्टी को कट वाले हिस्से के ऊपर मिट्टी को कसकर लगाएं और पॉलिथीन से कवर करके दोनों तरफ से अच्छी तरह से कसकर बांध दें।
एयर लेयरिंग के बाद इसे छाया में रखें। जड़ें निकलने में चार से पांच हफ्ते या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। इसमें रूटिंग होने में 4 से 5 हफ्ते या इससे भी ज्यादा समय लग सकता है। इसमें पॉलीथिन के अंदर रूट्स दिखाई देने लगेंगे। अब इसे शार्प कटर से कट कर लें। पॉलीथीन हटाएं और नए पौधे को 50% मिट्टी और 50% रेत के मिश्रण से भरे छोटे गमले में लगाएं। पौधे की पत्तियों को आधा काट दें ताकि उसे कम पोषक तत्वों की जरूरत पढ़े। इसमें अच्छी तरह से पानी दें। नई ग्रोथ होने तक इसे ऐसी जगह रखें जहां पौधे को धूप और छांव दोनों मिल पाए। अब 2 से 3 तीन साल में यह फल देना शुरू कर सका है।
डिस्क्लेमर : सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से विशेषज्ञ राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें। आर्यावर्त क्रांति इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।