प्रभात पांडेय
भारत सहित दुनिया के देशों में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित दुनिया के देश डेंगू को लेकर अब गंभीर हो गए हैं। इसका बड़ा कारण है कि दुनिया के 130 देश डेंगू की जद में आ चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस समय 4 अरब लोग डेंगू से प्रभावित हो रहे हैं और 2050 तक यह आंकड़ा पांच अरब को पार कर जाएगा। भारत की बात की जाए तो देश के लगभग हर प्रदेश में डेंगू के नित नए केस सामने आ रहे हैं।
डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो एडीज़ एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है। संक्रमण वाले ज़्यादातर लोगों में हल्के लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह बीमारी बुखार, तेज़ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली और उल्टी, आँखों के पीछे दर्द और चकत्ते पैदा करती है। हालांकि, गंभीर मामलों में संक्रमण से अंदरूनी ब्लीडिंग हो सकती है और अगर समय पर ठीक से इलाज नहीं किया गया, तो मौत भी हो सकती है।
मॉनसून सीजन जुलाई से सितंबर तक एक्टिव रहता है। और यहां जुलाई के अंत में या अगस्त के शुरू में डेंगू का सीजन माना जाता है। बारिश की वजह से ही हर साल इन महीनों में जगह-जगह पानी जमा हो जाता है। और डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो रुक-रुकर उभरती रहती है। भारत के शहरों में डेंगू के मामलों में उछाल के साथ ही इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में डेंगू के मामले सामने आए हैं। इसमें ब्राजील और अन्य दक्षिण अमेरिकी देश सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा से पता चलता है कि डेंगू के मामलों की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ रही है।
भारत की बात की जाए तो देश के लगभग हर प्रदेश में डेंगू के नित नए केस सामने आ रहे हैं। भले ही यह माना जाता हो कि डेंगू के कारण मौत की दर बहुत कम है और सामान्यतः डेंगू सामान्य पेरासिटामोल और डॉक्टरों के सलाह के अनुसार पेय पदार्थ एलोरा ज्यूस आदि लेने से ठीक हो सकता है। हालांकि कोल्ड ड्रिंक की सलाह नहीं दी जाती है। सामान्यतः यह माना जाता है कि डेंगू के कारण तेजी से प्लेटरेट में कमी आती है पर विशेषज्ञों का मानना है कि प्लेटरेट से भी ज्यादा गंभीर होता है ब्लड प्रेशर में कमी आना है। प्लेटरेट के साथ ही ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखना जरुरी हो जाता है। यह ध्यान रखना अधिक जरुरी हो जाता है कि ब्लड प्रेशर लो नहीं होना चाहिए। डेंगू का असर सीधे लीवर पर पड़ता है और ब्लड के अंतःस्राव की समस्या हो जाती है। जो अपने आप में गंभीर होती है। उल्टी होने से डिहाईड्रेशन की समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। दरअसल एक समस्या यह है कि डेंगू का पता भी तीन चार दिन बाद पता चलता है। इसलिए सावधानी सबसे बड़ी जरुरी हो जाती है। खैर सबसे अधिक चिंतनीय यह है कि डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है विश्व स्वास्थ्य संगठन अब अधिक गंभीर हो गया है।
नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जून के अंत तक डेंगू के 32 हजार से अधिक मामले सामने आए और 32 मौतें हुईं। पिछले दो महीनों में यह संख्या बढ़ने की संभावना है। अगस्त की शुरुआत में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा था कि भारत में इस साल डेंगू के मामलों की संख्या में 2023 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 फीसदी की बढ़त देखी गई है। डेंगू अब किसी देश की सीमा में बंधा नहीं रह गया है। देश दुनिया की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने डेंगू बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दरअसल डेंगू की गंभीरता को देखते हुए ही गैर सरकारी वर्ल्ड मास्कीटों प्रोग्राम के तहत एंटीडेंगू मच्छर विकसित किया गया है। 2023 में इंडोनेशिया में इनका प्रयोग किया जा चुका है और इनके प्रभाव से 95 प्रतिशत तक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
विशेष रूप से, भारत में संक्रमण की भौगोलिक स्थिति में भी बढ़त देखी जा रही है। यह बीमारी साल 2001 में केवल आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बढ़कर साल 2022 में हर एक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल गई। इसमें लद्दाख में भी साल 2022 में पहली बार दो मामले सामने आए थे। डेंगू के मामलों में उछाल के पीछे क्या कारण है? द लैंसेट के संपादकीय में ‘शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और लोगों तथा वस्तुओं की आवाजाही’ को डेंगू और इसके मच्छरों के प्रसार में सहायक बताया गया है।
डेंगू पचास साल पहले केवल कुछ देशों में ही फैलता था। आज इसका प्रकोप दुनिया के 120 देशों में फैल चुका है। परिवहन के साधनों के जरिए डेंगू के मच्छर पूरी दुनिया में फैल गए हैं। इसके साथ ही शहरीकरण और हर तरह के नए बसावटों से ये मच्छर फैलते गए, इनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है। डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के तार क्लाइमेट चेंज से भी जोड़े जाते हैं।
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए सबसे पहले, लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मच्छर उनके घरों या उनके पड़ोस में न पनपें। गमलों और पक्षियों के नहाने की जगह वगैरह में पानी के जमाव को रोकने की जरूरत है। दूसरा, लोगों को मच्छरों के काटने से खुद को बचाने की आवश्यकता है। एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं। इसलिए, विशेष रूप से मानसून के दौरान पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने से मच्छर काटने से बचा जा सकता है। तीसरा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को निगरानी और प्रकोप की भविष्यवाणी पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आखिरकार यही डेंगू के बढ़ते मामलों की संख्या और इसके चलते संक्रमण के कारण होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगा।