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26 Jun 2025, Thu

बनना चाहता था आर्किटेक्ट, पिता की ख्वाहिश से बना वकील: सीजेआई गवई

अमरावती। महाराष्ट्र के अमरावती में वकीलों के एसोसिएशन की ओर से देश के चीफ जस्टिस बीआर गवई को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में चीफ जस्टिस गवई के परिवार के सदस्यों, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, मित्रों, स्कूल के शिक्षकों समेत कई बड़े वकील शामिल हुए। समारोह के दौरान चीफ जस्टिस ने पुरानी यादों को ताजा किया। अमरावती चीफ जस्टिस बीआर गवई का जन्मस्थान है। समारोह में चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, मैं कभी भी वकील नहीं बनना चाहता था। मैं हमेशा एक वास्तुकार बनना चाहता था। दरअसल हुआ ये कि मेरे पिता दादसाहेब एलएलबी कर रहे थे लेकिन वह भूमिहीन सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल चले गए। इसके चलते वह परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हो सके। उसके बाद उन्होंने पूर्णकालिक राजनीति में सक्रिया हो गए। इसलिए वह वकील नहीं बन सके। हालांकि, वह चाहते थे कि मैं एक वकील बनूं। मैं उनके आदेशों पर एक वकील बन गया और आगे चलकर इस जगह तक पहुंचा। पिता के आदेशों का पालन कर आज में खुश हूं। देश के चीफ जस्टिस बनने के बाद न्यायमूर्ति भूषण गवई ने स्पष्ट कर दिया था कि वे अपने अमरावती जिला वकील संघ की ओर से प्रथम अभिनंदन स्वीकार करेंगे। अमरावती जिला वकील संघ ने उपस्थित अनेक गणमान्यों और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की मौजूदगी में चीफ जस्टिस गवई का अभिनंदन किया। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस नितिन सांबरे की अध्यक्षता में आयोजित सम्मान समारोह में देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन.वी. रमन्ना, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस प्रवीण पाटिल, जस्टिस अनिल किलोर शामिल हुए। चीफ जस्टिस गवई ने कहा उन्होंने जज बनने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था।
उन्होंने कहा,जब मैंने नागपुर में वकालत शुरू की तो उस समय मनोहर साहब एडवोकेट जनरल थे। उन्होंने मुझे एलएलबी करने के लिए प्रेरित किया। फिर एक साल तक सरकारी वकील के रूप में काम करने के बाद मैंने इस्तीफा दे दिया।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा, वर्ष 2000 में तत्कालीनी मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने मुझे सरकारी वकील का पद स्वीकार कर नागपुर जाने की सलाह दी। फिर बड़े भाई समान न्यायमूर्ति बोबडे ने हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने रास्ता बताया और काफी प्रयास के बाद में जज बन गया.
चीफ जस्टिस गवई ने कहा, मैंने 18 साल तक वकील के तौर पर और अब 22 साल से जज के तौर पर काम कर रहा हूं. जब मैं चीफ जस्टिस बना तो कई पत्रकारों ने मेरा इंटरव्यू लेने की कोशिश की, लेकिन मैंने उनसे परहेज किया. उन्होंने कहा कि विदर्भ के नागपुर क्षेत्र में जंगलों का एक बहुत गंभीर मुद्दा है. इस संबंध में मेरा फैसला पिछले महीने आया था. जस्टिस भूषण गवई ने कहा कि मैंने जो फैसला दिया है, वह जीवन के अधिकार और सुरक्षा के अधिकार के आधार पर है कि जो लोग वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और खेती कर रहे हैं, उन पर हमला नहीं किया जा सकता.
चीफ जस्टिस गवई ने कहा, आज अमरावती में मुख्य न्यायाधीश के रूप में मेरा सम्मान किया जा रहा है. इस समय मुझे अपने दादाजी की बहुत याद आती है. मुझे खुशी है कि मेरी माँ इस समारोह में मौजूद हैं. मेरे सभी परिचित यहाँ हॉल में हैं. जिन दोस्तों के साथ मैंने पढ़ाई की, जिन शिक्षकों ने मुझे पढ़ाया, वे यहाँ हैं.
अमरावती जिला वकील संघ की ओर से संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील देशमुख और उनकी कार्यकारिणी समिति के सदस्यों ने चीफ जस्टिस भूषण गवई की मां डॉ. कमल गवई को सम्मानि किया. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई और उनकी पत्नी डॉ. तेजस्विनी का अमरावती जिला वकील संघ की ओर से शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया.

By Aryavartkranti Bureau

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