नई दिल्ली, एजेंसी। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है, और दुनिया में सबसे तेजी से प्रगति करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जगह बना चुकी है। वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5त्न की शानदार जीडीपी बढ़ोतरी , रिकॉर्ड तोड़ निर्यात और नियंत्रण में आई मुद्रास्फीति ने भारत की आर्थिक कहानी को और भी मजबूत किया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, इस वैश्विक परिवेश में, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रगति का एक प्रमुख चालक बनी हुई है। मजबूत घरेलू विकास कारकों, बेहतर मैक्रोइकोनॉमिक मूलतत्त्व और सूझबूझ भरी नीतियों के चलते विकास की गति में उछाल आ रहा है।
विकास की मजबूत रफ्तार
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि विकास की यह गति 2025-26 में भी जारी रहेगी। यह प्रभावशाली प्रदर्शन मजबूत घरेलू मांग, बढ़ते निजी निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर में उच्च सार्वजनिक निवेश के कारण संभव हुआ है। पिछले एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग तीन गुना हो गया है, जो 2014-15 में 106.57 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 331.03 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
महंगाई पर बड़ी राहत
अर्थव्यवस्था के लिए एक और बड़ी सकारात्मक खबर मुद्रास्फीति के मोर्चे पर है। मई 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर घटकर 2.82त्न पर आ गई, जो फरवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इससे भी बड़ी राहत खाद्य वस्तुओं की कीमतों में देखने को मिली, जहां उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) मात्र 0.99त्न दर्ज किया गया , जो अक्टूबर 2021 के बाद की सबसे कम खाद्य मुद्रास्फीति है।
विदेशी मोर्चे पर भी शानदार प्रदर्शन
भारत का बाहरी क्षेत्र अर्थव्यवस्था को एक मजबूत सहारा दे रहा है।
रिकॉर्ड निर्यात: 2024-25 में भारत का कुल निर्यात 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए शिखर पर पहुंच गया। यह एक दशक पहले 2013-14 के 466.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77त्न की वृद्धि दर्शाता है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (स्नष्ठढ्ढ): भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक शीर्ष विकल्प बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में एफडीआई प्रवाह 14 प्रतिशत बढ़कर 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह 2013-14 में मिले 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर के दोगुने से भी अधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 जून, 2025 तक 697.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विशाल स्तर पर था। यह 11 महीने से अधिक के आयात के लिए पर्याप्त है, जो वैश्विक झटकों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
बाजार में बढ़ता भरोसा
भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों का भरोसा उच्चतम स्तर पर है। देश में खुदरा निवेशकों की संख्या 2019 में 4.9 करोड़ से 2.7 गुना बढ़कर 2024 के अंत तक 13.2 करोड़ हो गई। इसके अलावा, वैश्विक आईपीओ लिस्टिंग में भारत की हिस्सेदारी 2024 में बढ़कर 30त्न हो गई, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
संक्षेप में, भारत ने उच्च विकास दर और मूल्य स्थिरता के बीच एक सफल संतुलन बनाया है। मजबूत बुनियादी सिद्धांतों के साथ, भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और एक सुदृढ़ भविष्य के निर्माण के लिए अच्छी स्थिति में है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की सुपरफास्ट रफ्तार, रिकॉर्ड तोड़ निर्यात और 6.5 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ के साथ दुनिया में सबसे आगे
