नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका के साथ 31 प्रीडेटर ड्रोन्स खरीदने का सौदा कर लिया है। दोनों देशों के बीच इस सौदे पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। लंबे समय से दोनों देशों के बीच इस सौदे को लेकर बातचीत चल रही थी। यह सौदा 32 हजार करोड़ रुपये का है। इससे समुद्र से लेकर सतह और आसमान तक भारत की मारक और निगरानी क्षमता में प्रभावी वृद्धि होगी। रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने बीते हफ्ते ही इस सौदे को अपनी मंजूरी दी थी। भारत में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में सौदे पर हस्ताक्षर हुए।
भारत द्वारा 31 प्रीडेटर ड्रोन्स खरीदने के रक्षा सौदे का एलान प्रधानमंत्री मोदी के बीते साल अमेरिका दौरे पर किया गया था। इस सौदे की अहमियत को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि इस सौदे से दोनों देशों के रणनीतिक तकनीक सहयोग और सैन्य सहयोग में उल्लेखनीय इजाफा होगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, प्रीडेटर ड्रोन्स एमक्यू-9बी के मिलने से भारतीय नौसेना की हिंद महासागर में निगरानी की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। ये प्रीडेटर ड्रोन्स अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से खरीदे जाएंगे। यह सौदा भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत हुआ है। सौदे के तहत मिलने वाले 31 प्रीडेटर ड्रोन्स में से भारतीय नौसेना को 15 ड्रोन्स मिलेंगे। वहीं वायुसेना और थल सेना को 8-8 ड्रोन्स मिलेंगे। हिंद महासागर में जिस तरह से चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है, उसे देखते हुए भारतीय नौसेना भी अपनी क्षमताओं में इजाफा कर रही है। अब प्रीडेटर ड्रोन्स मिलने के बाद नौसेना की ताकत में काफी बढ़ोतरी होगी क्योंकि सीमाओं की निगरानी रखने में इस प्रीडेटर ड्रोन्स बहुत मददगार साबित होंगे। मंगलवार को भारत और अमेरिका के बीच दो समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। जिसमें एक समझौते के तहत अमेरिका से भारत को 31 प्रीडेटर ड्रोन्स मिलेंगे, वहीं दूसरे समझौते के तहत इन ड्रोन्स के देश में ही रखरखाव, मरम्मत की सुविधा स्थापित की जाएगी। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही इस रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं। जनरल एटॉमिक्स के सीईओ विवेक लाल भी सौदे पर हस्ताक्षर के समय दिल्ली में मौजूद रहे।
बेहद खास हैं प्रीडेटर ड्रोन
एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये ड्रोन 40 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर करीब 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमले करने में सक्षम हैं। यह हर प्रकार के मौसम में 40 घंटे से अधिक समय तक उपग्रह के माध्यम से उड़ान भर सकता है। अपनी क्षमताओं की वजह से प्रीडेटर ड्रोन को मानवीय सहायता/आपदा राहत, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन, विरोधी सतह युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, एयरबोर्न माइन काउंटरमेसर, लंबी दूरी की रणनीतिक आईएसआर, ओवर-द-एयर लक्ष्यीकरण, पनडुब्बी रोधी युद्ध में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसी ड्रोन से अमेरिका ने अल जवाहिरी को ढेर किया था
एमक्यू-बी प्रीडेटर ड्रोन अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर ड्रोन का एक वैरिएंट है। जुलाई 2022 में इसी ड्रोन से हेलफायर मिसाइल को लॉन्च कर अमेरिका ने अल कायदा के आतंकी अयमन अल जवाहिरी को ढेर किया था। यह ड्रोन हेलफायर मिसाइल के साथ ही 450 किलो विस्फोटक लेकर उड़ान भर सकता है। प्रीडेटर ड्रोन्स बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स ने पहले भी भारतीय कंपनी भारत फोर्ज के साथ इस ड्रोन के कलपुर्जे बनाने का समझौता कर लिया है। कंपनी भारत में ही इन ड्रोन्स की मरम्मत और रखरखाव के लिए भी एमआरओ हब स्थापित करेगी। साथ ही कंपनी भारत को अपने स्वनिर्मित लड़ाकू ड्रोन्स बनाने में भी मदद करेगी।