नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आज की बदलती दुनिया को वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र इस वास्तविकता से बच नहीं सकते कि राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण कई देशों में वैश्विक कार्यबल की मांग पूरी नहीं की जा सकती। उनकी यह टिप्पणी व्यापार और शुल्क चुनौतियों के साथ-साथ आव्रजन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त रुख के बीच आई है, जिसमें एच-1बी वीजा पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क भी शामिल है, जो मुख्य रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करता है। भारतीय इन अस्थायी कार्य वीजा के लाभार्थियों में अधिसंख्यक हैं।
जयशंकर की यह टिप्पणी वैश्विक व्यापार तनाव, टैरिफ चुनौतियों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आव्रजन पर सख्त रुख की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें एच-1बी वीज़ा पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क भी शामिल है, जिसका सीधा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ता है। जयशंकर ने कहा कि यह वास्तविकता कार्यबल वितरण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की माँग करती है। वैश्विक व्यापार प्रवाह पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने कहा कि अनिश्चितताओं के बावजूद, व्यापार हमेशा कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है।
उन्होंने कहा, “आज भौतिक और डिजिटल कारणों से व्यापार करना आसान है, क्योंकि आज बेहतर सड़कें, शिपिंग और मानव अस्तित्व में पहले से कहीं अधिक सुगम व्यापार इंटरफेस हैं।” उन्होंने आगे कहा कि बाधाएँ तो आती रहेंगी, लेकिन तकनीक और कनेक्टिविटी में प्रगति के ज़रिए उनका मुकाबला किया जा सकता है या उन्हें कम किया जा सकता है।
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान, वैश्विक कार्यबल एक हकीकत, इससे बच नहीं सकते राष्ट्र

