दुनियाभर में पुरुषों के सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक योगदान का आभार व्यक्त करने और इसका जश्न मनाने के लिए हर साल 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। इसे और तभी निखारा जा सकता है जब आपकी सेहत ठीक रहे। हालांकि पिछले एक दशक के आंकड़ें देखें तो पता चलता है कि पुरुषों में कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसे अक्सर शुरुआती स्थिति में नजरअंदाज कर दिया जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी पुरुषों के लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत को लेकर गंभीर रहें। लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों का जोखिम वैसे तो पुरुषों और महिलाओं दोनों को होता है, पर कुछ आदतें पुरुषों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित करती देखी गई हैं। शारीरिक हो या मानसिक स्वास्थ्य पुरुषों में इन दोनों की समस्याओं को तेजी से बढ़ता देखा जा रहा है। आइए ऐसी ही कुछ बीमारियों के बारे में जानते हैं जिनका पुरुषों में खतरा तेजी से बढ़ रहा है। क्या उपाय अपनाकर इनमें सुधार किया जा सकता है?
डॉक्टर्स कहते हैं, पुरुषों को कई बीमारियां गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं, जिसके लिए आहार में पौष्टिकता की कमी को प्रमुख कारण माना जाता है। इसके अलावा काम के दबाव के चलते बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता के कारण मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम भी काफी बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पुरुषों में कई ऐसी आदतें देखी गई हैं, जो उन्हें शारीरिक-मानसिक रूप से कमजोर और बीमार बना रही हैं। इससे जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में हृदय रोगों का अधिक जोखिम होता है और आमतौर पर यह लगभग 10 साल पहले विकसित हो सकता है। असल में पुरुषों में महिलाओं की तुलना में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है, जो हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा पुरुषों में बेली फैट और मोटापा विकसित होने का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है, जो हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार है।
अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका अधिक होती है, इसके कई कारण हो सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण शरीर पर अधिक फैट या पेट पर अधिक चर्बी जमा होने को माना जाता है। इसके अलावा कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी पुरुषों में टाइप-2 मधुमेह के विकास को बढ़ावा दे सकता है। पुरुषों में अधिक शारीरिक निष्क्रियता के कारण भी डायबिटीज और इसके कारण होने वाली जटिलताएं अधिक हो सकती हैं।
पुरुषों को अक्सर सख्त हृदय वाला माना जाता है, हालांकि यह सभी पर लागू नहीं होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पुरुषों को अपनी मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक पुरुषों की आत्महत्या दर बढ़ी है, इसका एक कारण अपनी भावनाओं को दबाने की आदत भी हो सकती है। दुख, क्रोध, रोने जैसी भावनाएं सामान्य हैं, इसे व्यक्त करने में हिचकें नहीं। भावनाओं को दबाना तनाव-चिंता विकारों को बढ़ा सकता है, जिसके कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।