नई दिल्ली, एजेंसी। बिहार के बाद देश के नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। एसआईआर<की प्रक्रिया में सबसे अहम जिम्मेदारी बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) को दी गई है। वह घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित कर रहा है और फिर से उसे संग्रहित कर रहा है, लेकिन मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया में सबसे चिंता का विषय यह उभर कर आया है कि बीएलओ की लगातार मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं। बीएलओ के परिवार के सदस्य शिकायत कर रहे हैं कि काम के अत्यधिक दवाब है और निर्धारित समय के अंदर काम पूरा करने का बहुत ही प्रेशर है। इस वजह से बीएलओ अपनी जान दे रहे हैं। बीएलओ की मौत को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार और चुनाव आयोग पर हमलेवार है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर की प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की है। ममता बनर्जी का आरोप है कि तीन साल की प्रक्रिया तीन महीने में पूरा करने के लिए चुनाव आयोग का दबाव बना रहा है। इस वजह से बीएलओ आत्महत्या कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने इससे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दावा किया था कि बंगाल में 28 बीएलओ ने दवाब की वजह से अपनी जान दे दी है। शनिवार को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर जिले में एक और महिला बीएलओ ने आत्महत्या कर ली है। टीएमसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मृतक का नाम रिंकू तरफदार (54) है, वो चोपरा के बंगालजी स्वामी विवेकानंद विद्या मंदिर में पार्ट-टाइम टीचर थी और चोपरा दुई पंचायत के बूथ नंबर 201 की BLO थी।
वह कृष्णानगर में छठी मंजिल पर रहती थी। उसने कल रात घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आज सुबह शव बरामद किया गया। उसने अपने सुसाइड नोट में एसआईआर प्रक्रिया की दबाव को मौत का कारण बताया है।

