लेटेस्ट न्यूज़
16 Oct 2024, Wed

ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल और भारत मिलकर तैयार करेंगे आम की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने का रोडमैप

शनिवार को होगा ‘नेशनल डायलॉग ऑन मैंगो इंप्रूवमेंट एंड स्ट्रेटजिस’ का आयोजन

लखनऊ। शनिवार (21 सितंबर) को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (संबद्ध, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) रहमानखेड़ा में आम पर होने वाली संगोष्ठी (नेशनल डायलॉग ऑन मैंगो इंप्रूवमेंट एंड स्ट्रेटजिस) में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल के प्रसिद्ध आम वैज्ञानिक, प्रजनक और जैव प्रौद्योगिकी के एक्सपर्ट्स आम की उत्पादकता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करेंगे।

उपज और गुणवत्ता सुधरने का यूपी के बागवानों को होगा सर्वाधिक लाभ

हालांकि यह गोष्ठी पूरे देश खासकर उत्तर भारत के आम के बागवानों के लिए उपयोगी होगी, पर आम का सर्वाधिक उत्पादन करने की वजह से उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस पर फोकस भी है। यहां मलिहाबाद (लखनऊ) के दशहरी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के आसपास के जिलों में होने वाले चौसा (देर में पकने वाली प्रजाति) की खासी मांग है। गुणवत्ता में सुधार के बाद इनके निर्यात की भी खासी संभावना है। योगी सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब भी बना रही है। फलों और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के उत्पाद की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड स्टोरेज, रायपेनिंग चैंबर का भी निर्माण करवा रही है।

क्लस्टर बनाकर जोड़ा गया 4000 बागवानों को

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने बताया कि संस्थान इस दिशा में क्लस्टर अप्रोच से काम भी कर रहा है। इस क्रम में उक्त दोनों प्रजातियों के कुछ क्लस्टर बनाकर इनसे करीब 4000 बागवानों को जोड़ा गया है। इनको बताया जा रहा है किस तरह ये अपने 15 साल से पुराने बागों का कैनोपी मैनेजमेंट के जरिए कायाकल्प कर सकते। इससे कालांतर में इनकी उपज भी बढ़ेगी और फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

संगोष्ठी के आयोजक सचिव आशीष यादव ने बताया कि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक का भी बागवानों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसमें फलों को कागज के बैग से ढक दिया जाता है। इससे इनमें रोगों और कीड़ों का संक्रमण नहीं होता। दाग धब्बे नहीं आते। साथ ही परिपक्व फलों का रंग भी निखर आता। प्रति बैग मात्र दो रुपए की लागत से ये फल बाजार में दोगुने दाम पर बिक जाते हैं।

फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक से लोगों को रोजगार भी मिलेगा

आम यूं भी यूपी के लाखों लोगों के रोजगार का जरिया है। फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक के चलन में आने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना और बढ़ेगी। शुरू में ऐसे बैग चीन से आते थे। अब भी अधिकांश बैग कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आते है। यूपी में मेरठ और कुछ अन्य शहरों से भी आपूर्ति शुरू हुई है। मांग बढ़ने पर ये स्थानीय स्तर पर भी तैयार किए जाने लगेंगे। इस रोजगार भी मिलेगा।

आशीष यादव के अनुसार गोष्ठी में डॉ. नटाली डिलन, सीनियर बायोटेक्नोलॉजिस्ट और डॉ. इयान एस.ई. बल्ली, सीनियर बागवानी विशेषज्ञ क्वींसलैंड,(ऑस्ट्रेलिया), डॉ. युवल कोहेन, वोल्केनी इंस्टीट्यूट, एआरओ, इज़राइल के शोधकर्ता, डॉ. वीबी. पटेल भाग लेंगे। आम पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों और बागवानों के लिए ये गोष्ठी मार्गदर्शक साबित होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *