नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए खाना बनाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल करने के खिलाफ कार्रवाई करते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही आयोग ने एफएसएसएआई को शिकायत संबंधी जांच कर दो हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। शिकायतकर्ता ने खाना बनाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बताते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन माना है। देशभर में खाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल के खिलाफ ‘सार्थक सामुदायिक विकास एवं जन कल्याण संस्था’, भोपाल के संस्थापक द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि देशभर में छोटे होटलों, सड़क किनारे लगने वाले ठेले-खोमचों और फूड वेंडर्स द्वारा खाने के तेल का बार-बार इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे जन स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो रहा है और इससे कैंसर, ह्रदय संबंधी बीमारियां और लिवर संबंधी बीमारियां होने का खतरा है।
लोगों को जागरूक करने की मांग
शिकायत में ये भी कहा गया है कि कई बार इस्तेमाल करने के बाद बचे हुए तेल को पानी या जमीन पर लापरवाही से फेंक दिया जाता है, जिससे पानी और मिट्टी प्रदूषित होती है। इससे पर्यावरण को लंबे समय में नुकसान होता है। शिकायतकर्ता ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए मानवाधिकार आयोग से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। शिकायतकर्ता ने मानवाधिकार आयोग से इस मामले में एफएसएसएआई, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगमों को निर्देश देने की मांग की। शिकायतकर्ता ने मांग की है इस्तेमाल तेल को लेकर सख्त नियम बनाने की मांग की और तेल को दोबारा इस्तेमाल लायक बनाने के लिए अधिकृत केंद बनाने का भी सुझाव दिया और साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की भी मांग की।
खाना बनाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल से मानवाधिकारों का उल्लंघन होने का आरोप, एनएचआरसी ने मांगी रिपोर्ट

