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15 Oct 2025, Wed

जमीन खरीदने जा रहे हैं? कहीं डूब न जाए आपकी मेहनत की कमाई, इन 5 बातों को नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में जमीन या प्रॉपर्टी खरीदना हर किसी का सपना और जीवन का सबसे बड़ा निवेश माना जाता है। लेकिन कई बार लोग सही जानकारी के अभाव में या बिल्डर-विक्रेता की बातों में आकर जल्दबाजी में फैसला कर लेते हैं, जिसका नतीजा भारी आर्थिक नुकसान और कानूनी पचड़ों के रूप में सामने आता है। अगर आप भी प्लॉट या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए इन 5 जरूरी बातों की पड़ताल जरूर कर लें।

कीमत और भविष्य की पूरी पड़ताल सिर्फ विक्रेता द्वारा बताई गई कीमत पर भरोसा न करें। सबसे पहले उस इलाके का सरकारी सर्कल रेट (गाइडलाइन वैल्यू) पता करें। इसके बाद आसपास के क्षेत्र में हाल ही में हुई प्रॉपर्टी डील्स से वास्तविक बाजार मूल्य का अंदाजा लगाएं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इलाके के भविष्य के विकास की संभावनाओं को देखें। क्या वहां कोई नई सड़क, मेट्रो लाइन, मॉल या सरकारी प्रोजेक्ट आने वाला है? ऐसे विकासशील क्षेत्रों में निवेश करना लंबे समय में बड़ा मुनाफा देता है।

मालिकाना हक की जांच सबसे जरूरी यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। किसी भी जमीन को खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि विक्रेता ही उसका असली और एकमात्र मालिक है। इसके लिए जमीन के मूल दस्तावेज जैसे टाइटल डीड और सेल डीड की जांच करें। एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट निकलवाकर यह पता करें कि जमीन पर कोई कर्ज या कानूनी विवाद तो नहीं है। किसी अच्छे वकील से दस्तावेजों की जांच करवाना एक समझदारी भरा फैसला है, जो आपको भविष्य के कोर्ट-कचहरी के चक्करों से बचाता है।

जमीन का प्रकार समझना अहम भारत में जमीन को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है, जैसे- रिहायशी , कृषि , या कमर्शियल। यदि आप घर बनाने के लिए जमीन खरीद रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह रिहायशी जोन में आती हो। कृषि भूमि पर घर बनाने के लिए आपको ‘लैंड यूज’ बदलवाना पड़ता है, जो एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है। इसलिए, खरीदने से पहले स्थानीय नगरपालिका या पंचायत से जमीन की ज़ोनिंग की जानकारी अवश्य लें।

लोकेशन और आसपास की सुविधाएं प्रॉपर्टी की कीमत और उसकी उपयोगिता काफी हद तक लोकेशन पर निर्भर करती है। जांचें कि जमीन के पास स्कूल, अस्पताल, बाजार, बैंक और सार्वजनिक परिवहन (बस, मेट्रो) जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं या नहीं। एक अच्छी लोकेशन वाली प्रॉपर्टी न केवल रहने के लिए सुविधाजनक होती है, बल्कि समय के साथ उसकी कीमत में भी अच्छी बढ़ोतरी होती है।

जमीन की नपाई और सीमा की पुष्टि अक्सर कागजों में दर्ज क्षेत्रफल और जमीन के वास्तविक माप में अंतर पाया जाता है। इसलिए, सौदा पक्का करने से पहले किसी सरकारी या निजी सर्वेक्षक से जमीन की फिजिकल नपाई जरूर कराएं। साथ ही, स्थानीय विकास प्राधिकरण से यह भी पुष्टि करें कि प्लॉट किसी स्वीकृत लेआउट का हिस्सा है या नहीं, ताकि भविष्य में बाउंड्री से जुड़ा कोई विवाद न हो।

By Aryavartkranti Bureau

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