नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया को भगवान बुद्ध का शांति संदेश दिया है। अभिधम्म दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह पवित्र दिन हमें करुणा और सद्भावना की याद दिलाता है। इसी से हम दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले 2021 में कुशीनगर में भी ऐसा ही आयोजन हुआ था। मेरा सौभाग्य है उस आयोजन में भी मैं शामिल हुआ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की बुद्ध में आस्था केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि यह पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है। उन्होंने कहा कि मैंने यूएन में भी कहा था कि भारत ने विश्व को बुद्ध दिया है। शांति से बड़ा कोई सुख नहीं। दुनिया को युद्ध में नहीं बुद्ध में ही समाधान मिलेगा। अभी भी पूरे विश्व को कहता हूं। बुद्ध से सीखए, युद्ध को दूर कीजिए।
वडनगर में बौद्ध धर्म का केंद्र था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मेरा सौभाग्य है कि भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की जो यात्रा मेरे जन्म के साथ शुरू हुई है, वो अनवरत जारी है। मेरा जन्म गुजरात के उस वड़नगर में हुआ, जो एक समय बौद्ध धर्म का महान केंद्र हुआ करता था। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में भारत के ऐतिहासिक बौद्ध तीर्थ स्थलों से लेकर दुनिया के अलग-अलग देशों मसलन नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन, मंगोलिया में उनकी प्रतिमा के अनावरण और श्रीलंका में वेसाक समारोह तक मुझे कितने ही पवित्र आयोजनों में शामिल होने का अवसर मिला है।
शरद पूर्णिमा-वाल्मिकी जयंती की बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने इसी के साथ देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मिकी जयंती की भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा का पवित्र पर्व है और आज ही भारतीय चेतना के महान ऋषि वाल्मीकि जी की भी जन्मजयंती है। यह अनोखा संयोग है।
दुनिया भर से ला रहे हैं अपनी धरोहर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम नए निर्माण के साथ-साथ अपने अतीत को भी संरक्षित और सुरक्षित करने की मुहिम में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में हम 600 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों, कलाकृतियों और अवशेषों को दुनिया के अलग-अलग देशों से वापस भारत लाए हैं। इनमें से कई अवशेष बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, यानी बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नए सिरे से प्रस्तुत कर रहा है।