नई दिल्ली। सहारा समूह की कंपिनयों के भविष्य से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है। कंपनी के नीति निर्धारक समूह की संपत्तियों को अदाणी प्रापॅपर्टीज प्राइवेट लिमिटेट को बेचने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) ने महाराष्ट्र में एम्बी वैली और लखनऊ में शाहरा शहर समेत विभिन्न संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हाल ही में दाखिल इस याचिका पर संभवतः 14 अक्तूबर को सुनवाई होगी।
अधिवक्ता गौतम अवस्थी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने की अनुमति मांगी गई है। समूह की संपत्तियों को 6 सितंबर, 2025 की टर्म शीट में निर्धारित नियमों और शर्तों पर अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की मंजूरी देने की अपील की गई है। सहारा समूह से संबंधित लंबित मामलों में दायर अंतरिम आवेदन में कहा गया है कि इस न्यायालय की ओर से समय-समय पर पारित विभिन्न आदेशों पालन करते हुए न्यायालय की अनुमति हासिल कर, एसआईसीसीएल और सहारा समूह बड़ी कठिनाई से अपनी कुछ चल और अचल संपत्तियां बेच पाए। इसकी आय को सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा कर दिया गया है।
परिवार के सदस्यों व अधिकारियों से पूछताछ के कारण प्रक्रिया जटिल हुई: एसआईसीसीएल
एसआईसीसीएल के अनुसार मौजूदा बाजार स्थितियों, व्यवहार्य प्रस्तावों की अनुपस्थिति और कई मुकदमों के लंबित रहने के कारण प्रयासों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इससे सामूहिक रूप से खरीदार का विश्वास कम हुआ और उक्त संपत्तियों की बाजार क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसमें कहा गया है कि कई जांच एजेंसियों की ओर से दिवंगत सुब्रत रॉय के परिवार के सदस्यों और सहारा समूह के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ पूछताछ शुरू करने से यह प्रयास और जटिल हो गया है। याचिका में कहा गया है, ‘उक्त समानांतर और असमन्वित कार्रवाइयां न केवल निवेशकों/ जमाकर्ताओं के मन में भ्रम, विरोधाभासी आख्यान और अनुचित संदेह पैदा कर रही हैं, बल्कि सहारा समूह द्वारा अपनी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करने और इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के चल रहे प्रयासों में भी प्रभावी रूप से बाधा डाल रही हैं और आगे भी बाधा डाल सकती हैं।’ याचिका में कहा गया है कि नवंबर 2023 में रॉय की मृत्यु के बाद, तथा सहारा समूह में औपचारिक रूप से नामित निर्णय लेने वाले प्राधिकारी की अनुपस्थिति में, कुछ व्यक्तियों ने पुराने बोर्ड प्रस्तावों पर भरोसा करते हुए, उचित प्राधिकार के बिना समूह की अचल संपत्तियों से निपटने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि समूह की परिसंपत्तियों की सुरक्षा और किसी भी अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए विभिन्न न्यायालयों में शिकायत दायर कर उचित कार्रवाई की गई।
सहारा समूह की संपत्ति अदाणी प्रॉपर्टीज को बेचने की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई मंजूरी
