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4 Oct 2025, Sat

दालों के विकल्प पीली मटर का सस्ता आयात रोकने की मांग, कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें पीली मटर के आयात पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि पीली मटर को दालों का विकल्प माना जाता है और इसका आयात भारत के किसानों की आजीविका को नुकसान पहुंचा रहा है, खासकर उन किसानों को जो दालें उगाते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने किसान महापंचायत की ओर से दायर याचिका पर यह नोटिस जारी किया। साथ ही किसानों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहाकि यह जांच करने की जरूरत है कि क्या देश में दालों का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है या नहीं।
बेंच ने कहा, हम नोटिस जारी करने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसका परिणाम यह नहीं होना चाहिए कि आम उपभोक्ताओं को नुकसान हो। भूषण ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि पीली मटर का सस्ता आयात (करीब 35 रुपये प्रति किलोग्राम) उन किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है, जो तूर, मूंग और उड़द जैसी दालें उगाते हैं। इन दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 85 रुपये प्रति किलोग्राम है।
उन्होंने कहा कि कई विशेषज्ञ संस्थाएं पहले ही सलाह दे चुकी हैं कि पीली मटर का आयात बंद किया जाए, क्योंकि यह भारत के किसानों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि वह दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे, न कि सस्ते में पीली मटर का आयात करे।
प्रशांत भूषण ने बताया कि कृषि मंत्रालय और नीति आयोग दोनों ने पीली मटर के आयात के खिलाफ राय दी है। इस पर बेंच ने भूषण से पूछा, आप पीली मटर का आयात बंद करवा देते हैं और बाजार में कमी हो जाती है तो क्या होगा? हमें यह स्थिति नहीं बनने देनी है। आपने कहा कि कुछ देशों में पीली मटर पशु चारे के रूप में इस्तेमाल होती है। क्या आपने इसके स्वास्थ्य पर असर की जांच की है? इस पर भूषण ने जवाब दिया कि पीली मटर का सेवन करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। उन्होंने यह भी कहा, किसानों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है और वे आत्महत्या कर रहे हैं।

By Aryavartkranti Bureau

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