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22 Jun 2025, Sun

‘पूरा देश आपके बयान से शर्मिंदा है’, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बेशर्म’ मंत्री विजय शाह का उतार दिया पानी

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री कुंवर विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने शाह की ओर से मांगी गई माफी को मगरमच्छ के आंसू बताते हुए अस्वीकार कर दिया और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा – माफी बचने का तरीका, शर्मनाक टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, कभी-कभी माफ़ी सिर्फ बचने के लिए मांगी जाती है। आपने जिस तरह के भद्दे, अमर्यादित और विचारहीन शब्द बोले, वो एक मंत्री से नहीं बल्कि किसी जिम्मेदार नागरिक से भी अपेक्षित नहीं हैं।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में सिर्फ माफी पर्याप्त नहीं, बल्कि न्यायिक जांच जरूरी है ताकि समाज में एक संदेश जाए कि लोकतंत्र में भाषा की भी एक लक्ष्मण रेखा होती है।
ऑपरेशन सिंदूर : सेना की गरिमा का प्रतीक
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की एक साहसिक कार्रवाई थी, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि माना गया। इस ऑपरेशन में महिला अफसरों की अग्रणी भूमिका थी, जिसे लेकर देशभर में गर्व और सम्मान की भावना दिखाई दी। ऐसे में एक मंत्री द्वारा ऑपरेशन से जुड़ी किसी महिला अधिकारी पर अशालीन और जातीय-लैंगिक टिप्पणी को न केवल सेना बल्कि समाज की गरिमा पर चोट माना गया।
एसआईटी जांच के मायने : सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी में तीन वरिष्ठ ढ्ढक्कस् अधिकारी शामिल होंगे, जो इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करेंगे। एसआईटी का गठन ऐसे मामलों में दुर्लभ है और यह दिखाता है कि न्यायपालिका इस विषय को बेहद गंभीरता से ले रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया : इस पूरे प्रकरण पर विपक्षी दलों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इसे भाजपा की महिला विरोधी मानसिकता करार दिया है, वहीं भाजपा ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि अंदरखाने में पार्टी नेतृत्व इस बयान से असहज बताया जा रहा है, क्योंकि यह मुद्दा अब राष्ट्रीय मंच पर पहुंच गया है और इससे सेना और महिला अधिकारी वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं।
यह मामला केवल एक विवादित बयान का नहीं, बल्कि लोकतंत्र में जवाबदेही और गरिमा की परीक्षा है। जब एक जनप्रतिनिधि अपनी शब्दों की मर्यादा खोता है, तो यह केवल व्यक्तिगत गलती नहीं होती, बल्कि वह व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह बन जाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख आने वाले समय में राजनीतिक अभिव्यक्ति की सीमाओं और जिम्मेदारी को लेकर मिसाल बन सकता है।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।