लेटेस्ट न्यूज़
25 Apr 2025, Fri

ट्रंप का नया दावा, इस हफ़्ते खत्म हो जाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध!

वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नया दावा किया है कि इस हफ्ते एक व्यापक संघर्ष विराम पर फैसला हो सकता है। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन इस सप्ताह समझौता कर लेंगे और फिर दोनों देश अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार करेंगे।”
ट्रंप के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल है कि क्या यह सिर्फ एक और राजनीतिक बयान है या वाकई कोई गंभीर कूटनीतिक प्रगति हो रही है। राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों ने यह साफ कर दिया है कि अगर इस हफ्ते कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो अमेरिका मध्यस्थता से खुद को अलग कर सकता है।
मध्यस्थता से हट सकता है अमेरिका
रुबियो ने शुक्रवार को कहा था कि “हमें यह तय करना है कि यह डील मुमकिन है या नहीं। अगर नहीं, तो हम आगे बढ़ जाएंगे।” ट्रंप ने भी इस चेतावनी को दोहराया, जिससे संकेत मिला कि यह डेडलाइन असली है, न कि सिर्फ कूटनीतिक दबाव।
क्या रूस-यूक्रेन डील के करीब हैं?
30 घंटे का ईस्टर ट्रूस (संघर्ष विराम) खत्म हो चुका है। रूस और यूक्रेन ने एक-दूसरे पर 1,300 से अधिक उल्लंघनों के आरोप लगाए हैं। अमेरिका और रूस के बीच पिछले कुछ हफ्तों में कई दौर की वार्ताएं हुई हैं। पेरिस में हुई बैठक में यूक्रेनी रक्षा मंत्री ने कहा कि कीव 90 फीसद अमेरिकी फ्रेमवर्क से सहमत है, बशर्ते सीमाओं पर समाधान हो। अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि इस हफ्ते लंदन में ‘फाइनल ऑफर’ रखा जाएगा, जिससे तय होगा कि युद्ध को विराम मिलेगा या नहीं।
क्या यह ट्रंप का नया डेडलाइन गेम है?
डोनाल्ड ट्रंप अपनी सौदेबाजी की रणनीति के लिए जाने जाते हैं। कई बार वे समयबद्ध दबाव बनाते हैं ताकि दूसरे पक्षों को तेज़ी से निर्णय लेने पर मजबूर किया जा सके। हालांकि ट्रंप ने अपने चुनावी प्रचार के दौरान 24 घंटे में युद्ध खत्म करने का ऐलान किया था और अब ट्रंप के राष्ट्रपति बने तीन महीने पूरे हो चुके हैं।
ऐसे में ट्रंप की नई “डेडलाइन” दिखाता है कि अमेरिका अब ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहता। एक पक्ष यह भी है कि अगर डील नहीं हुई, तो ट्रंप संयुक्त राष्ट्र या नाटो को इस मामले से निपटने की बात कहकर अलग हो जाएगा ।
डील या डेडलॉक?
ट्रंप के इस बयान से तीन संभावनाएं खुली हैं। एक अंतिम प्रयास, जो कुछ ठोस परिणाम ला सकता है।
सिर्फ दबाव बनाने की रणनीति, जिसके पीछे 2026 के चुनावी लाभ हैं।
मध्यस्थता से पीछे हटने की भूमिका, अगर दोनों पक्ष किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचते
अगर इस सप्ताह लंदन में अमेरिकी ‘फाइनल ऑफर’ पर सहमति बन जाती है, तो यह अब तक की सबसे बड़ी डिप्लोमैटिक सफलता होगी। लेकिन अगर वार्ता विफल हुई, तो ट्रंप की ‘डील मेकिंग’ की छवि को भी बड़ा झटका लग सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *