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13 Jul 2025, Sun

‘इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं वक्फ…न ही संविधान के तहत मौलिक अधिकार’, सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं है। इसलिए इस पर संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में नहीं दावा किया जा सकता। सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि जब तक वक्फ को इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं माना जाता, तब तक अन्य सभी विफल हो जाती हैं।
मेहता ने कहा, वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, जिसे नकारा नहीं जा सकता, लेकिन जब तक इसे इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं माना जाता, तब तक अन्य दलीलों का कोई मतलब नहीं है। 2025 के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं केंद्र ने यह जवाब दिया है। मेहता ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर दावा करने का अधिकार नहीं है, भले ही वह जमीन वक्फ के रूप में घोषित की गई हो।
उन्होंने कहा, कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है, जो कहता है कि अगर संपत्ति सरकारी है और वक्फ के रूप में घोषित की गई है, तो सरकार उसे बचा सकती है।

By Aryavartkranti Bureau

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