वॉशिंगटन, एजेंसी। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी जिंदगी भर कुर्सी पर रहने का इंतजाम कर रही हैं। दरअसल, यह खुलासा यूरोप की एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 साल की मेलोनी तानाशाही की तरफ इटली को ले जा रही हैं। मेलोनी अगर अपने मकसद में कामयाब होती है तो इटली में उनकी कुर्सी सेफ हो जाएगी।
द गार्जियन ने सिविल लिबर्टीज यूनियन फॉर यूरोप के हवाले से कहा है कि इटली में तेजी से लोकतंत्र को खत्म करने वाले फैसले लिए जा रहे हैं। इन फैसलों के पीछे प्रधानमंत्री मेलोनी ही है। मेलोनी के इस तरह के फैसले को रूस के व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।
लोकतंत्र को लेकर रिपोर्ट में क्या है?
सिविल लिबर्टीज यूनियन फॉर यूरोप के मुताबिक बुल्गारिया, क्रोएशिया, रोमानिया और स्लोवाकिया के साथ इटली में भी कानून के शासन को खत्म किया जा रहा है। यह सब जानबूझकर किया जा रहा है, जिससे लोकतंत्र की बजाय तानाशाही शासन लागू हो सके।
इस रिपोर्ट के मुताबिक मेलोनी की सरकार ने न्याय मंत्रालय को खुले अधिकार देने के लिए प्रस्ताव तैयार किए, जिससे न्यायपालिका पर राजनीतिक नियंत्रण बढ़ेगा। इसके अलावा मेलोनी की सरकार मीडिया और स्वतंत्र पत्रकारों को भी लगातार निशाने पर ले रही है।
मेलोनी की सरकार पर पैसे लेकर अपराधियों को भी छोड़ने का आरोप है। दिलचस्प बात है कि सभी घटना के केंद्र में खुद प्रधानमंत्री मेलोनी हैं।
2022 में मेलोनी को मिली कुर्सी
2022 के आम चुनाव में मेलोनी की पार्टी को इटली में जीत मिली। मेलोनी ने अपने करीबी प्रतिद्धंदी ई लेट्टा को पटखनी दी थी। 2027 में इटली में फिर से चुनाव प्रस्तावित है। मेलोनी अपनी पार्टी की तरफ से खुद मैदान में उतरेंगी।
मेलोनी की कवायद 2027 तक अनुकूल सियासी पिच तैयार करने की है। यही वजह है कि यूक्रेन और रूस के जंग में यूरोपीय यूनियन से इतर मेलोनी ने अमेरिका का साथ दिया है। मेलोनी को ट्रंप का करीबी माना जाता है।
1977 में जन्मीं जॉर्जिया मेलोनी ने इस्टीटूटो टेक्निको से अपनी पढ़ाई की है। 2000 के आसपास ही वे राजनीति में सक्रिय हो गईं। पार्षद से करियर की शुरुात करने के बाद मेलोनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इटली यूरोप का एक देश है, जो मुसोलनी और फासीवाद की वजह से द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त सुर्खियों में था। इटली में 1946 में गणतंत्र की स्थापना की गई।