प्रभात पांडेय
आजकल स्मार्टफोन लोगों की जिन्दगी का एक अहम हिस्सा बन गया है, फोन हमारे साथ हर वक्त रहता है। स्मार्टफोन के कई सारे नुकसान हैं तो कई फायदे भी हैं लेकिन दुःख की बात यह है कि फायदे के बजाय फोन से लोगों को नुकसान ही बहुत हो रहा है। मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है, इसके कारण हमारे शरीर को कई सारी बीमारियां घेर
लेती हैं। आज देश में मोबाइल यूजर्स की संख्या 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है और स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा हो गया है। हम कुछ देर बिना खाए रह सकते हैं लेकिन बिना मोबाइल और इंटरनेट के रहना मुश्किल है। कई मायने में तो स्मार्टफोन के फायदे हैं लेकिन इसके कई सारे नुकसान हैं भी हैं। मोबाइल के साथ सबसे बड़ी दिक्कत रेडिएशन की है। यह सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है।
मोबाइल हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिसके बिना हम एक मिनट भी गुजारना पसंद नहीं करते। हमारे ऑफिस के कामों से लेकर पढ़ाई तक हम मोबाइल पर करते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आपकी बॉडी पर साइड इफेक्ट भी डालता है। हम ज्यादा से ज्यादा वक्त मोबाइल के साथ गुजारते हैं और मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन हमारी सेहत और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं।
लॉकडाउन में हमने ज्यादा से ज्यादा वक्त मोबाइल और लेपटॉप पर चैटिंग और ब्राउजिंग करने में गुजारा है। लेकिन आप जानते हैं कि ज्यादा समय मोबाइल के साथ गुजारने से सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता हैं। मोबाइन का इस्तेमाल ज्यादा वक्त तक करने से सिर दर्द, नींद में गड़बड़ी, याददाश्त में कमजोरी, चिड़चिड़ापन, हाथ और गर्दन में दर्द और आंखों से कम दिखने की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग की गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।
एक तरफ जहां इसके काफी फायदे हैं, वहीं इससे कुछ नुकसान भी हैं। रेडिएशन के कारण दिमाग और दिल दोनों पर बुरा असर पड़ता है। दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और दिमाग की याददाश्त प्रभावित होती है। ये फर्टिलिटी पर भी बुरा असर डालती है। कैंसर, आर्थराइटिस, अल्जाइमर और हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ाती है। इतना ही नहीं एकाग्रता, आंख की समस्याएं के साथ न्यूरोडेगेनेरेटिव डिसऑर्डर होने का भी खतरा रहता है।
फोन को पैंट की जेब में रखने से लोगों की फर्टिलिटी को कम करता है इसलिए ऐसा करने से बचें। अच्छे मोबाइल केस का इस्तेमाल करें। रेडिएशन का असर दिमागी सेल्स पर भी पड़ता है, अगर लंबे समय तक फोन पर बात करते हैं तो आपके दिमाग पर इसका असर हो सकता है। सबसे सही तरीका है कि आप फोन को स्पीकर में रखकर बात करें। वीक सिग्नल के दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन सबसे ज्यादा होता है। खासकर जब आप बेसमेंट या लिफ्ट जैसी जगहों पर हों तो फोन कॉल करने से बचें। कई बार आप फोन में मल्टी-टास्किंग कर रहे होते हैं या गेम खेल रहे होते हैं या फिर लो बैटरी में भी लगातार फोन चला रहे होते हैं। इन तमाम चीजों से बचें। चार्जिंग के दौरान भी फोन पर काम न करें।
आज के दौर में हर चीज आसानी से उपलब्ध है। टिकट से लेकर शॉपिंग, ट्रांजैक्शन सब-कुछ मोबाइल से कर सकते हैं। यही वजह है ज्यादातर लोग दिनर-रात मोबाइल से चिपके रहते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि मोबाइल से होने वाला रेडिएशन आपकी स्किन को कितना नुकसान पहुंचाता है? बता दें कि मोबाइल फोन समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का रेडिशन बेहद खतरनाक है। मोबाइल रेडिशन हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है। यह हमारी आंख के रेटीना को कमजोर कर देता है। साथ ही हमारी स्किन को डैमेज करने का काम करता है।
एम्स और एन्वायरोनिक ने अध्ययन किया है कि मोबाइल रेडिएशन मानव शरीर को कैसे प्रभावित करती है। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन से अवगत कराया गया। अध्ययन में पाया गया कि कैसे मोबाइल की रेडिएशन मस्तिष्क के वेव पैटर्न में परिवर्तन करती है। अध्ययन में जब डेटा का विश्लेषण किया गया, तो पाया कि अल्फा और थीटा तरंगें जो रिलेक्सेशन महसूस कराती है दोनों में उतार-चढ़ाव देखा गया। ये उतार-चढ़ाव बॉडी के लिए तनावपूर्ण था। मोटे तौर पर, मोबाइल रेडिएशन के दो हानिकारक प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ते हैं। एक हीट इफेक्ट है। एक घंटे अगर आप कान पर फोन लगाकर बात करते हैं तो आपको उतनी ही गर्मी मिलती है जितनी एक मिनट में माइक्रोवेव देता है। दूसरा बॉयोलॉजिकल इफेक्ट। हमारी कोशिकाएं एक-दूसरे से संपर्क करती हैं और मोबाइल फोन विकिरण इस संचार को बाधित करते हैं।
मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल करने में हमें सावधानी बरतने की हमेशा जरूरत है। कोशिश करें कि मोबाइल फोन का शरीर से संपर्क कम से कम हो। फोन को शर्ट या टी-शर्ट की जेब में कभी न रखें। हालांकि फोन को पेंट की जेब में रखना भी सही नहीं है। बैग में रखें तो ज्यादा अच्छा है। मोबाइल फोन के नेटवर्क के लिए टेलीकॉम कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों में जरूरत के मुताबिक टावर इंस्टॉल करती हैं, टावर का रेडिएशन हमारे सीधे संपर्क में नहीं रहता है, इसलिए इसका गलत प्रभाव शरीर पर बहुत कम पड़ता है लेकिन फोन 24 घंटे हमारे साथ रहता हो तो इसका प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है। लेकिन यह भी सच है कि हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर गए हैं कि इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना हमें जीवनजीने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। आवश्यकता इस बात की है कि हम इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का संतुलित प्रयोग करें ताकि हमारे स्वास्थ्य और हमारे संबंध पर इसका बुरा प्रभाव ना पड़े।