वॉशिंगटन, एजेंसी। डोनाल्ड ट्रंप के फिलिस्तीनियों के गाजा से निकालने की बात को फिलिस्तीनी लोगों ने सिरे से नकार दिया है। ट्रंप की ओर से गाजा को खाली करने की बात ने फिलिस्तीनियों को चौंका दिया है। पिछले महीने इजरायल और हमास के बीच हुए युद्ध विराम के बाद, इस क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोग अपने घरों को वापस लौटने के लिए जा रहे हैं, भले ही वे क्षेत्र तबाह क्यों न हो गए हों।
गाजा पट्टी के देइर अल-बलाह, सईद अबू एलायश की पत्नी, उनकी दो बेटियां और उनके परिवार के दो दर्जन और लोग पिछले 15 महीनों में इजरायली हवाई हमलों में मारे गए हैं। उत्तरी गाजा में उनका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया। अब वह और उनका बचा हुआ परिवार उनके घर के मलबे में बने तंबू बनाकर रह रहे हैं।
लेकिन, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से गाजा से सभी फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की बात कहने के बाद उनका कहना है कि उन्हें बाहर नहीं निकाला जाएगा। ताकि, संयुक्त राज्य अमेरिका तबाह हो चुके क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले सके और उस क्षेत्र में पुनर्निर्माण कर सके हैं। मानवाधिकार समूहों का मानना है कि यह आह्वान फिलिस्तीनियों के अधिकारों का उल्लंघन है और उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करने की कोशिश है।
1948 के युद्ध के समय भी लाखों में हुआ था विस्थापन
कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि ट्रंप का प्रस्ताव एक बातचीत की रणनीति हो सकती है, लेकिन पूरे क्षेत्र के फिलिस्तीनियों ने इसे अपनी मातृभूमि से उन्हें पूरी तरह से मिटा देने का प्रयास देखा है। ये 1948 के युद्ध के दौरान भी वर्तमान इजरायल से लाखों फिलिस्तीनियों को उनके घरों से बाहर निकलना और विस्थापन बड़े स्तर पर हुआ था।
इस घटना को फिलिस्तीनियों के बीच नकबा के नाम से जाना जाता है, जिसका अरबी में अर्थ है तबाही है। हाल ही में ट्रंप का आया बयान सालों से चली आ रही अमेरिकी नीति से एकदम अलग है। इजरायल के दक्षिणपंथी राजनेताओं की ओर से फिलिस्तीनियों को गाजा से बाहर निकालने, खासकर मिस्र में भेजने की बात से मिलती-जुलती है।
गांव में घरों को किया था तबाह
कई लोगों की तरह, अबू एलैश अपने परिवार के अनुभव को बताया। उन्होंने कहा कि मई 1948 में, इजरायली सेना ने उनके दादा-दादी और अन्य फिलिस्तीनियों को निकाल दिया। गाजा पट्टी के ठीक बाहर दक्षिणी इजरायल के होज गांव में उनके घरों को ध्वस्त कर दिया। परिवार गाजा के जबालिया कैंप में बस गया, जो दशकों बाद एक घनी आबादी वाले शहरी इलाके में विकसित हुआ। हाल के महीनों में हमास के उग्रवादियों के साथ भीषण लड़ाई के दौरान इजरायली सैनिकों ने जिले के ज्यादातर हिस्से को समतल कर दिया। मुस्तफा अल-गज्जर ने बताया कि उस समय वो पांच साल की थी, जब 1948 में इजरायली सेना ने उनके शहर याब्नेह पर हमला किया था। इसके कारण उनके परिवार और वहां रहने वाले दूसरे लोगों को भी भागने पर मजबूर होना पड़ा था। याब्नेह शहर वर्तमान में मध्य इजरायल में स्थित है। अब 80 साल की उम्र पार कर चुके वो दक्षिणी गाजा शहर राफा में अपने घर के बाहर बैठे थे। ये उस समय हवाई हमले में तबाह हो गया था और उन्होंने कहा कि 15 महीने के युद्ध से बचने के बाद वहां से बाहर निकलने में काफी मुश्किल थी।