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23 Feb 2025, Sun

‘कुछ चीजों में न्यायपालिका को नहीं घुसना चाहिए’, कोर्ट का कारगिल युद्ध से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कारगिल युद्ध से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। यह याचिका सेना के एक पूर्व अधिकारी ने दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कारगिल युद्ध के दौरान सेना द्वारा कुछ लापरवाही की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ चीजें हैं, जिनमें न्यायपालिका को नहीं घुसना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कार्यपालिका से जुड़ा मामला है और इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा- ये कार्यपालिका का क्षेत्र
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘न्यायपालिका आम तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सुनवाई नहीं करती। 1999 में कारगिल युद्ध में जो हुआ, यह कार्यपालिका से संबंधित मामला है।’ पीठ ने पूर्व सैन्य अधिकारी मनीष भटनागर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही। याचिका में पूर्व सैन्य अधिकारी ने आरोप लगाया कि कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के बारे में उन्होंने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि होने से पहले ही जानकारी दे दी थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, ‘कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनमें न्यायपालिका को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो ये गलत होगा।’ पीठ ने कहा, ‘आपने युद्ध में भाग लिया और अब मुद्दों को वैसे ही छोड़ दिया जाना चाहिए, जैसे वे हैं।’ अदालत के रुख को देखते हुए याचिका दायर करने वाले सैन्य अधिकारी मनीष भटनागर ने भी जनहित याचिका वापस लेने की मांग की, जिसकी अदालत ने अनुमति दे दी।
याचिका में पूर्व सैन्य अधिकारी ने लगाए थे ये आरोप
पैराशूट रेजिमेंट की 5वीं बटालियन के पूर्व अधिकारी भटनागर ने घुसपैठ की पुष्टि होने और बाद में ऑपरेशन के संचालन के तरीके के बारे में सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कारगिल घुसपैठ के बारे में उन्होंने साल 1999 में जनवरी-फरवरी में ही उनके वरिष्ठों को जानकारी दे दी थी, लेकिन उनके इनपुट को नजरअंदाज कर दिया गया। भटनागर ने तर्क दिया था कि जब बड़े पैमाने पर संघर्ष छिड़ गया, तो उनका किसी अन्य बहाने से कोर्ट मार्शल कर दिया गया और सेना छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। कारगिल युद्ध 1999 में मई से जुलाई तक चला था। कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारत में घुसपैठ की, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी।

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