नई दिल्ली। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने साल 2010 के जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में दोषी हिमायत बेग को राहत देने से इनकार कर दिया है। हिमायत बेग ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया था कि उसे नासिक केंद्रीय कारागार में एकांत कारावास में रखा गया है। वह बीते 12 साल से जेल में है और एकांत कारावास में रहने की वजह से उसे मानसिक आघात हो रहा है। हिमायत बेग ने अपनी याचिका में उसे एकांत कारावास से निकालने की मांग की थी। हालांकि उच्च न्यायालय ने इसका आदेश देने से इनकार कर दिया।
राहत देने से उच्च न्यायालय का इनकार
बॉम्बे उच्च न्यायालय की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की सदस्यता वाली खंडपीठ ने हिमायत बेग को राहत देने से मना कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि ‘जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है, इस स्तर पर मानसिक आघात जैसी कोई बात नहीं है।’ हालांकि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि हिमायत बेग को जेल के भीतर नियमों और कानून के मुताबिक कुछ काम दिया जा सकता है। बता दें कि एकांत कारावास में कैदी को अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है और अधिकतर समय उसे जेल की चारदीवारी में ही कैद रखा जाता है। गंभीर अपराध जैसे हत्या या बम धमाके के दोषियों को एकांत कारावास में रखा जाता है।
जर्मन बेकरी बम धमाके में 17 की हुई थी मौत
हिमायत बेग साल 2010 के पुणे जर्मन बेकरी बम धमाके में दोषी पाया गया है। साल 2013 में पुणे की विशेष अदालत ने हिमायत बेग को दोषी ठहराया था। अदालत ने बेग को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन साल 2016 में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने हिमायत बेग की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। पुणे जर्मन बेकरी बम विस्फोट में 17 लोगों की मौत हुई थी और 60 अन्य घायल हुए थे।
‘कोई मानसिक आघात नहीं है’, पुणे जर्मन बेकरी विस्फोट के दोषी को राहत देने से उच्च न्यायालय का इनकार
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