दुनियाभर में पॉल्यूशन चिंता का विषय है और भारत में भी प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर है। एयर पॉल्यूशन के मामले में तो देश के कई शहरों की स्थिति काफी खराब रहती है और सर्दी के दिनों में तो हवा में प्रदूषण और भी ज्यादा बढ़ जाता है। CREA ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस बार भी सर्दियों में एयर क्वालिटी काफी खराब रही, जिनमें दिल्ली, असम का बर्नीहाट और बिहार का हाजीपुर, सबले पॉल्यूटेड शहर रहे। इन जगहों में हवा का PM 2।5 तक चला गया जो खतरनाक स्तर माना जाता है। इससे इन शहरों के लोगों की सेहत पर भी काफी बुरा असर हुआ है। पॉल्यूशन की वजह से न सिर्फ उस दौरान सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि इसके असर से हेल्थ को लॉन्ग टर्म नुकसान भी होते हैं।
बढ़ती आबादी, पेड़ों का कटना, बड़ी फैक्ट्रियां…ऐसी कई वजह हैं, जिससे एयर पॉल्यूशन हर मौसम में बना रहता है, लेकिन हर साल सर्दियों में हवा में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान नमी ज्यादा बढ़ जाती है और हवा थोड़ी धीमी गति से चलती है। लंबे समय तक जहरीली हवा में सांस लेने की वजह से सेहत को काफी गंभीर नुकसान होता है और इससे की बीमारियां हो सकती हैं।
फेफड़ों को होता है लॉन्ग टर्म नुकसान
हवा में प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है। जब हवा का PM2.5 हो जाए तो सांस के जरिए शरीर में जो कण पहुंचते हैं, उससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, CPOD यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज हो सकता है। इसके अलावा जहरीली हवा में सांस लेने की वजह से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है और इस वजह से लॉन्ग टर्म नुकसान जैसे:-कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाना, आदि नुकसान होते हैं।
दिल पर भी होता है बुरा असर
प्रदूषित हवा में सांस लेने से न सिर्फ फेफड़ों पर बुरा असर होता है, बल्कि इससे रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा हो जाती है, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से ही दिल से जुड़ी समस्याएं हो उनके लिए दिक्कत और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
दिमाग पर भी होता है पॉल्यूशन का गंभीर प्रभाव
हवा में घुले प्रदूषण की वजह से फिजिकल हेल्थ पर तो इफेक्ट पड़ता ही है, इसके अलावा इससे आपके ब्रेन पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित हवा मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकती है, जिसकी वजह से अल्जाइमर, डिमेंशिया (याददाश्त को प्रभावित करने वाली बीमारियां) होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों को भी एकाग्रता कम होने की समस्या हो सकती है और मूड स्विंग, एंग्जायटी, जैसी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
इन लोगों को होता है ज्यादा नुकसान
प्रदूषण वाली हवा का बुरा प्रभाव वैसे तो हर एज और जेंडर के इंसान पर होता है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग और बच्चे होते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण से काफी नुकसान होता है, इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी होने का खतरा भी ज्यादा हो सकता है। प्रदूषण की वजह से बच्चों के फेफड़ों के विकास में बाधा आती है और इस वजह से उन्हें सांस संबंधित समस्याएं हो सकती हैं तो वहीं बुजुर्गों में ये दिक्कतें तेजी से ट्रिगर करती हैं। एयर पॉल्यूशन के दौरान अच्छी क्वालिटी के मास्क का यूज करना चाहिए, सुबह-शाम घर के अंदर ही रहना बेहतर होता है और मनी प्लांट, तुलसी, एलोवेरा जैसे पौधे अच्छी मात्रा में घर में और आसपास लगाने चाहिए, साथ ही विटामिन सी और ई से भरपूर खाने की चीजें डाइट में शामिल करनी चाहिए।