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23 Dec 2024, Mon

त्योहार में मिलने वाली मिठाइयों से लेकर व्रत और रोजमर्रा के चीजों में मिला है ‘मिलावट का जहर’

प्रभात पांडेय

त्योहारी सीजन शुरू होते ही मिलावट खोर सक्रिय हो जाते हैं। व्रत त्योहार शुरू होते ही मिलावटी पनीर और मावे की मिठाइयों के मिलने या कुट्टू के आटे से बनी चीज़ें खाने से लोगों के बीमार होने की खबरें आने लगती हैं। अक्सर त्योहारी सीजन के आसपास अधिकारी हलवाई और थोक विक्रेताओं की दुकान पर छापेमारी कर मिलावटी पनीर, मावा बरामद करते रहे हैं। अधिकारियों ने लोगों से मिलावटी सामान की जानकारी मिलने पर शिकायत की अपील की है।
गाजियाबाद में इसी कारण मंगलवार को 62 लोग अस्पताल पहुंच गए। इसके बाद जागी खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमों ने एनसीआर के मार्केट में छापेमारी अभियान शुरू कर दिया। इसी के तहत नोएडा में नकली घी और पनीर पकड़ में आया। अब जब मार्केट और वहां से हज़ारों घरों में ये सब सामान पहुंच चुका है, तब ऐसी छापेमारी और सैंपल एकत्र करने की कवायद का क्या मतलब है?
त्योहारी सीजन के चलते बाजार में मिठाइयों की बिक्री शुरू हो गई है। आने वाले कुछ दिन में मिठाई की दुकानों पर भीड़ जमा होनी शुरू हो जाएगी। इस समय लागत कम करने और ज्यादा मुनाफे के चक्कर में कई दुकानदार मिलावटी मावे, दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थों से बनी मिठाई बेचते हैं। त्योहारों पर मिठाई बनाने के लिये इस्तेमाल होने वाले सामान की मांग सौ गुना बढ़ जाती है। जबकि उत्पादन एक मात्रा में ही होता है। मांग को पूरा करने के लिये मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। जो सिंथेटिक मावा, खोया,दूध, दही पनीर बनाकर लाखों रुपए का मुनाफा कमाते हैं. जबकि इन सिंथेटिक सामान से बनने वाली मिठाइयों से लोग बीमार होकर गंभीर बिमारियों का शिकार हो जाते हैं।
दूध के नाम पर जहर बेचने का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा। दूध में मिलावट जारी है और मिलावटखोर लोगों की सेहत और उनकी जिंदगी के साथ जमकर खिलवाड़ कर रहे हैं। शहर की कई बड़ी दुकानों पर नकली दूध बनाने का सामान खुलेआम बिक रहा है। माल्टा (सफेद पेस्ट) व बोरियों में ग्लूकोज की बिक्री हो रही है। माल्टा यानी सफेद पेस्ट या ये कहिए तैयार नकली दूध, जिसे एक टैंकर में एक लीटर डालने भर से एक टैंकर नकली दूध तैयार हो जाता है। इसे अधिक चिकना व वास्तविक जैसा बनाने के लिए रिफाइंड, हल्की मिठास के लिए ग्लूकोज, झाग के लिए इजी व अन्य डिटरजेंट, कलर के लिए केमिकल्स आदि का प्रयोग किया जाता है। यह सारा सामान खुलेआम शहर की कई बड़ी दुकानों पर बिक रहा है, दुकानदारों को जानकारी है कि क्षेत्र में कौन नकली दूध का कारोबार करता है लेकिन कभी कोई चेकिंग नहीं होती। माल्टा आदि पेस्ट की बिक्री भी कभी रोकने का प्रयास नहीं किया गया। बड़े-बड़े ड्रमों में मात्रा के अनुसार माल्टा मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार कर लिया जाता है, इसमें गर्म किया गया इजी व अन्य डिटरजेंट पाउडर, रिफाइंड आदि डालते हैं, ताकि दूध में भरपूर झाग व चिकनाई बन सके। कुछ मात्रा में वास्तविक दूध व मिल्क क्रीम को भी मिलाते हैं, इसके बाद नकली दूध को पहचानना काफी कठिन होता है। इसके प्रयोग अधिकांशत: पनीर व मिल्क पाउडर बनाने में किया जाता है। इसका सेवन करने से फूड पॉयजनिंग, किडनी और लिवर की बीमारी, दस्त हो सकता है.
कुछ महीनों पहले बुलंदशहर में नकली दूध का कारोबार करने वाले बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ था। यहां से पूरे दिल्ली एनसीआर में यह दूध सप्लाई हो रहा था। इससे पहले राजस्थान के अलवर से भी तीन हज़ार लीटर नकली दूध पकड़ा गया था। देश की संसद में बताया जा चुका है कि तीन में से दो भारतीय रिफाइंड तेल, यूरिया, कास्टिक सोडा और डिटर्जेंट से बना नकली दूध पी रहे हैं। पानी की मिलावट तक तो ठीक था, पर केमिकल की यह मिलावट हमारी आंतों, किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचाने के साथ हड्डियां कमज़ोर कर रही है।
तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम् में भी मिलावट मामला सामने आया है यह भयावह और बेहद चिंताजनक है। यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था को छिन्न भिन्न करने वाला है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू में घी की जगह फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी की मिलावट के आरोप के बाद तिरुपति बालाजी के प्रसाद को लेकर आस्था पर आघात जैसी बातें सामने आ रही थीं।
आज के जमाने में मिलावट से कोई भी खाद्य पदार्थ अछूता नहीं बचा है। हरी सब्जियों का सेवन कितना फायदेमंद होता है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। अक्सर सलाद के तौर पर कच्ची सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है। मगर ज्यादा चमकदार और ताजा दिखाने के लिए सब्जियों को सिंथेटिक रंगों से रंगकर बाजार में बेचा जा रहा है, जो कि सेहत के खिलाफ काफी नुकसानदेह है। इसके सेवन से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
आज के समय में खाने पीने की हर चीज में मिलावट देखने को मिलती है। ज्यादातर लोगों ने अब तक शक्कर, दालों और दूध के बारे में सुना होगा, लेकिन सब्जियां और फल भी इससे अछूते नहीं हैं। बाजार में मिल रहीं मिलावटी सब्जी और फल लोगों के स्वास्थ पर बुरा असर डाल रहे हैं। कुछ व्यापारी सब्जियों को जल्दी पकने के लिए कीटनाशकों का इंजेक्शन लगाते हैं। कुछ सिंथेटिक रंग या मैलाकाइट का हरा और मोम का लेप मिलाते हैं। सब्जियों और फलों में पेस्टिसाइड, पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स में एंटीबायोटिक्स तो पानी में लेड और आर्सनिक पाया जा रहा है। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी की हालिया रिसर्च के दौरान देश के 17 शहरों से लिए गए फूड सैंपल में बड़ी मात्रा में मेटल पाया गया। पिछले साल संसद में प्रस्तुत डेटा बताता है कि एक साल में एकत्रित खाद्य पदार्थों के सैंपल में 25 फीसदी से अधिक मिलावटी
पाया गया।
तिरुपति लड्डू विवाद के बाद साफ है कि जब भगवान का प्रसाद ही शुद्ध नहीं बचा तो आम लोगों के खाने-पीने का सामान कैसे बचेगा। जो मिलावटी खाना हमें बीमार कर रहा है, उसके इलाज के लिए दी जाने वाली दवाएं भी सुरक्षित नहीं रह गई हैं। पिछले हफ्ते ही गाजियाबाद के पास पिलखुवा में बिना लाइसेंस के चल रही एक फैक्ट्री में छापा मारकर 25 लाख रुपये की नकली पैरासिटामोल और एंटीबायोटिक दवाएं पकड़ी गईं। इन्हें नामी कंपनियों के रैपर लगाकर मार्केट में बेचा जा रहा था। इससे पहले भी यहां गैस और मधुमेह की नकली दवा बनाने के कारोबार का फंडाफोड़ हुआ था। दो महीने पहले मुरादाबाद में आयुर्वेद की नकली दवाओं की फैक्ट्री पकड़ में आई थी।

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