बीजिंग, एजेंसी। एलएसी पर तनाव के बाद भारत-चीन पक्ष को लेकर भारत ने कई बार अपने तरफ से बयान दिया है। चीन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि भारत और चीन के बीच में स्थिति सामान्य की तरफ लौट रहे हैं। लेकिन अब तक भारी भरकम सेना की सीमा पर मौजूदगी खतरे को खत्म नहीं होने दे रही। सैन्य उपस्थिति उस खतरे को लगातार कायम रख रही है जो पिछले चार सालों से गहराता रहा है। इसी लेकर जब भारतीय सेना प्रमुख से भी सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकारा की स्थिति संवेदनशील और स्थिर है। अक्टूबर 2024 के बाद से भारत और चीन ने डिसइंगेजमेंट की ओर बढ़ने की अपनी कोशिशों को और तेज करना शुरू कर दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये कि वो भारत और चीन की सेना जो विभिन्न प्लाइंट्स से पीछे तो हट गई हैं। लेकिन अब भी भारी भरकम सेना का वहां मौजूद रहना कई सवालों को खड़ा कर रहा है।
इन सब के बीच एलएसी के पास चीन की तरफ से किया गया वो ड्रिल जो कहीं न कहीं सवालों को फिर खड़ा कर रहा है। चीन द्वारा किया गया युद्धाभ्यास और उसके बीच में आया भारतीय सेना प्रमुख का बयान बेहद महत्वपूर्ण है। इस युद्धाभ्यास में ड्रोन, टैंक और आर्मर्ड इन्फेंट्री फाइटिंग व्हीकल को भी उतारा गया।भारतीय सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने आगामी सेना दिवस से पहले अपनी वार्षिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि जहां तक गतिरोध का सवाल है, हमें यह देखना होगा कि अप्रैल 2020 के बाद सब कुछ बदल गया है। दोनों पक्षों ने इलाके (तैनाती और निर्माण के माध्यम से) में हेरफेर किया है, बिलेटिंग निर्माण किया है और स्टॉकिंग और तैनाती हुई है। इसका मतलब है कि कुछ हद तक गतिरोध है। एलएसी पर स्थिति पर एक सवाल के जवाब में द्विवेदी की टिप्पणी भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा एक अंतराल के बाद लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में अपनी गश्त गतिविधियों को फिर से शुरू करने के ढाई महीने बाद आई। भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में अपने गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत में सफलता की घोषणा के दो दिन बाद 23 अक्टूबर, 2024 को दोनों क्षेत्रों में विघटन शुरू हुआ, जो लद्दाख में आखिरी दो फ्लैशप्वाइंट थे जहां दोनों सेनाएं आमने-सामने थीं।