तेहरान। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने रविवार को कहा कि उनके देश की कोई छद्म सेना नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें कार्रवाई करनी होगी तो वे खुद कर लेंगे। खामेनेई का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कथित ईरान समर्थित हमास और हिजबुल्ला को इस्राइल के खिलाफ लड़ाई में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। साथ ही सीरिया की बशर अल असद सरकार को भी ईरान समर्थक माना जाता था, लेकिन अब वहां भी तख्तापलट हो चुका है।
ईरान के सर्वोच्च नेता ने दी चेतावनी
यमन के हूती विद्रोहियों को भी ईरान का समर्थन मिलने का दावा किया जाता है। रविवार को तेहरान में ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने लोगों के एक समूह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘इस्लामिक गणराज्य ईरान को किसी छद्म सेना की जरूरत नहीं है। यमन इसलिए लड़ता है क्योंकि उसमें आस्था है। हिजबुल्लाह इसलिए लड़ता है क्योंकि आस्था की शक्ति उसे जंग के मैदान में खींचती है। हमास और (इस्लामिक) जिहाद इसलिए लड़ते हैं क्योंकि उनका विश्वास उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं। वे हमारे प्रॉक्सी के रूप में काम नहीं करते हैं।’
‘हमें किसी छद्म सेना की जरूरत नहीं’
खामेनेई ने कहा कि ‘वे (अमेरिका) लगातार कहते रहते हैं कि इस्लामिक गणराज्य ईरान ने क्षेत्र में अपनी छद्म सेनाओं को खो दिया है, लेकिन ये उनकी एक और गलती है। अगर किसी दिन हम कार्रवाई करना चाहेंगे तो हमें किसी छद्म सेना की जरूरत नहीं होगी और हम खुद ही एक्शन ले लेंगे।’ दरअसल ऐसा माना जाता है कि ईरान ने इस्राइल के खिलाफ लड़ाई के लिए फलस्तीन में हमास को खड़ा किया और लेबनान में हिजबुल्ला को मदद दी। सीरिया की बशर अल असद सरकार के जरिए ही लेबनान में हिजबुल्ला को हथियारों की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब दोनों इस्राइल के खिलाफ लड़ाई में बेहद कमजोर हो चुके हैं। यमन में हूती विद्रोहियों पर भी अमेरिका और ब्रिटेन ने हवाई हमले किए हैं, जिससे वे भी कमजोर हुए हैं।