ईरान। मिडिल ईस्ट में ईरान के तमाम प्रॉक्सी गुटों को ठिकाने लगाने के बाद अब इजराइल अपने सबसे बड़े दुश्मन ईरान को निपटाने की तैयारी कर रहा है। सीरिया में बशर अल-असद के तख्तापलट का फायदा उठाते हुए इजराइली एयर फोर्स ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की तैयारी तेज़ कर दी है। टाइम्स ऑफ इजरायल ने इजरायली सैन्य अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, इजराइली अधिकारी तेहरान के प्रॉक्सी गुटों के कमजोर होने और सीरिया में असद शासन के पतन को एक रणनीतिक अवसर बता रहे हैं।
इजरायली सैन्य अधिकारियों ने बताया कि मिडिल ईस्ट में तेहरान के प्रॉक्सी गुटों के कमजोर होने और सीरिया में असद शासन के पतन के बाद, इजरायली वायु सेना ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी के खिलाफ संभावित हमलों के लिए अपनी तैयारी तेज़ कर दी है। IDF का मानना है कि अलग-थलग पड़ा ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को और आगे बढ़ा सकता है। मध्य पूर्व में असद शासन के पतन के बाद इजराइल ने मौके का फायदा उठाते हुए न केवल सीरिया में गोलान हाइट्स के करीब बफर जोन पर कब्जा किया बल्कि सीरिया के ज्यादातर एयर डिफेंस को तबाह कर दिया।
इजरायली सेना का मानना है कि यह ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले का मुफीद समय है। हालांकि ईरान ने हमेशा परमाणु हथियार बनाने की बात से इनकार किया है और कहा है कि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम और परमाणु गतिविधियां पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए हैं। वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और IAEA का कहना है कि ईरान के पास 2003 तक एक संगठित सैन्य परमाणु कार्यक्रम था, और उसने नागरिक आवश्यकता से परे अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना जारी रखा। इजराइल का तर्क है कि ईरान ने कभी भी अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को वास्तव में नहीं छोड़ा और इसके कई परमाणु स्थल भारी किलेबंद पहाड़ों के नीचे दबे हुए हैं। ईरान और इजराइल के बीच तनाव लंबे समय से जारी है पिछले एक साल में दोनों देशों ने एक-दूसरे को सीधे तौर पर कई बार टारगेट किया है, अप्रैल में ईरान ने सीरिया में ईरानी दूतावास के करीब हुए हमले के जवाब में मिसाइल दागी तो इजराइल ने भी पलटवार किया। इसके बाद एक अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर 180 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिसने पहले की तुलना में इजराइल को ज्यादा नुकसान पहुंचाया।
वहीं दूसरी ओर 26 अक्टूबर को इजराइल ने इस हमले का बदला लिया और ईरान के कई सैन्य और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया। इजराइली सेना चीफ ने इस हमले के बाद ही ईरान को चेतावनी दी थी कि अगर ईरान ने अब कोई कार्रवाई की तो वह उन ठिकानों को निशाना बनाएगा जिन्हें 26 अक्टूबर के हमले में जानबूझकर यहूदी सेना ने छोड़ दिया है। हालांकि इजराइल इस हमले के दौरान भी ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला करना चाहता था लेकिन तब उसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का साथ नहीं मिला। अब जबकि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन तय है और नेतन्याहू के करीबी डोनाल्ड ट्रंप शासन संभालने वाले हैं तो इजराइल पूरी तरह से बेखौफ होकर ईरान के खिलाफ ठोस रणनीति बना रहा है।
उधर ईरान भी कई बार धमकी दे चुका है कि वह यहूदी शासन के खिलाफ पहले की तुलना में और भी बड़ी कार्रवाई कर सकता है, ऐसे में अगर इजराइल तेहरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाता है तो जाहिर है दोनों देशों के बीच जारी तनाव एक बड़े संघर्ष में तब्दील हो सकता है।