नई दिल्ली। भारत दवाओं का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन करने वाला देश है। मगर, भारतीयों को अच्छी गुणवत्ता की दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इस बात का खुलासा हाल ही में सामने आई सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की एक रिपोर्ट में हुआ। ड्रग रेगुलेटर ने कई दवाओं की गुणवत्ता की जांच की थी, जिसमें 50 से ज्यादा दवाएं फेल हो गईं। आसान भाषा में कहें, तो ये दवाएं तय मानकों के अनुरूप नहीं बनाई गई थीं। अब एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया के एमेरिटस अध्यक्ष ने इसे लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि हम दुनिया की फार्मा राजधानी हैं और ऐसे समय में अगर दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठता है तो यह एक बुरी स्थिति है।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ और एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया के एमेरिटस अध्यक्ष डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, ‘सीडीएससीओ ने 53 नकली दवाओं का पता लगाया है। मुझे यह मामला बहुत गंभीर लग रहा है क्योंकि हम एक चौराहे पर खड़े हैं। एक तरफ हम दुनिया की फार्मा राजधानी हैं और हमें ऐसे में यह पता चलता है कि हमारी दवाओं के नाम खराब हैं तो यह एक बुरी स्थिति है।’
उन्होंने आगे कहा कि पहली बार हमारे पास एक ऐसा मंत्री है, जो रसायन और उर्वरक तथा स्वास्थ्य का प्रभारी है। यह अच्छा है क्योंकि मंत्री प्रभावशाली हो सकते हैं और मंत्रालय को कार्रवाई करनी चाहिए।
‘दवाएं हमारी कंपनी की नहीं’
इंडियन ड्रग्स रेग्युलेटर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की रिपोर्ट में गुणवत्ता परीक्षण में फेल बताई गईं पैरासिटामोल समेत 53 दवाओं को दवा कंपनियों ने नकली बताया है। दवा कंपनी सन फार्मा और टोरेंट फार्मा ने दावा किया कि रिपोर्ट में फेल बताई गईं दवाएं हमारी कंपनी की नहीं हैं। उनकी कंपनी की दवाओं की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है।
इंडियन ड्रग्स रेग्युलेटर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने एक रिपोर्ट में पैरासिटामोल, कैल्शियम और विटामिन डी-3 की सप्लीमेंट, मधुमेह की गोलियां और हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं सहित 50 से अधिक दवाओं को औषधि नियामक द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षण में फेल बताया था। इसे लेकर सन फार्मा कंपनी की ओर से कहा गया कि कंपनी ने मामले की जांच की। इसमें पाया कि पल्मोसिल (सिल्डेनाफिल इंजेक्शन), बैच नंबर KFA0300; पैंटोसिड (पैंटोप्राजोल टैबलेट आईपी), बैच नंबर SID2041A और उर्सोकोल 300 (उर्सोडॉक्सिकोलिक एसिड टैबलेट आईपी), बैच नंबर GTE1350A नकली हैं। इन बैच की दवाओं को सन फार्मा ने नहीं बनाया है।
कंपनी की ओर कहा गया है कि हम मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। हमारे दवा ब्रांड पर क्यूआर कोड रहता है। जिससे मरीज आसानी से उन्हें स्कैन करके प्रमाणिकता सत्यापित कर सकते हैं। इसके अलावा हमने सुरक्षा के लिए एक 3डी सुरक्षा पट्टी भी शामिल की है।
वहीं टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स ने कहा कि हमने शेल्कल 500 के उसी बैच का मूल्यांकन किया, जिसका सीडीएससीओ ने परीक्षण किया था। हमने पाया कि जब्त किया गया नमूना टोरेंट ने नहीं बनाया है। यह नकली है। कंपनी ने शेल्कल पर क्यूआर कोड लागू किया है। इसकी प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए बैच विनिर्माण विवरण प्रदर्शित किया गया है। सीडीएससीओ द्वारा जब्त किए गए नमूने में यह क्यूआर कोड नहीं है। वहीं अल्केम लैबोरेटरीज के प्रवक्ता ने कहा कि दवा कंपनी गुणवत्ता को अत्यधिक महत्व देती है।
रिपोर्ट में फेल बताए गए उत्पाद नकली हैं और अल्केम ने नहीं बनाए हैं। कंपनी इस मामले पर अधिकारियों से बातचीत कर रही है। ग्लेनमार्क के एक प्रवक्ता ने कहा कि सूची में दिखाया गया उत्पाद नकली और ग्लेनमार्क द्वारा निर्मित-वितरित नहीं किया गया है। हमने जिम्मेदार संगठन के रूप में हमेशा मरीजों की सुरक्षा और उत्पादों की गुणवत्ता को प्राथमिकता दी है। प्रवक्ता ने कहा कि हम सभी फार्मेसी आउटलेट्स से अपील करते हैं कि वे हमारे अधिकृत स्टॉकिस्टों से ही ग्लेनमार्क उत्पाद खरीदें।