रूस। रूस की संसद में एक कानून पास किया गया है, जो उन संगठनों से बैन हटाने की इजाजत देगा जिन्हें आतंकवाद की लिस्ट में रखा गया है। संसद के निचले सदन (स्टेट ड्यूमा) में पास हुए नए कानून ने मास्को के लिए अफगान तालिबान और संभावित रूप से सीरिया के नए नेतृत्व के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए एक रास्ता खोला है।इस कानून के तहत रूस के अभियोजक जनरल अदालत में अर्जी दायर कर सकते हैं कि किसी प्रतिबंधित समूह ने अपनी आतंकवादी गतिविधियों को बंद कर दिया है। जिसके बाद जज फैसला कर सकते हैं कि समूह को आतंकवाद की सूची से हटाया जाए या नहीं।
तालिबान को फरवरी 2003 में प्रतिबंधित सूची में रखा गया था। वहीं सीरिया के HTS को 2020 में इस लिस्ट में शामिल किया गया था। अब उम्मीद की जा रही है कि दोनों संगठनों को लिस्ट से निकाल रूस संबंध बनाएगा, क्योंकि अफगानिस्तान और सीरिया में अपनी मौजूदगी कायम रखने के लिए रूस के पास ये एकमात्र रास्ता बचा है।
तालिबान से करीबी बढ़ा रहा रूस
अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद से ही रूस तालिबान के साथ संबंधों को आगे बढ़ा रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई में कहा था कि तालिबान अब आतंकवाद से लड़ने में सहयोगी है। साथ ही इस करीबी के पीछे दोनों पक्षों की अमेरिका से दुश्मनी भी है। हालांकि, रूस की आतंकवादी लिस्ट से तालिबान को हटाए जाने से अफगान में उसकी सरकार या जिसे वह ‘अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात’ कहता है, को औपचारिक मान्यता मिलने की उम्मीद बेहद कम है। ऐसा कदम दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक नहीं उठाया है।
सीरिया के नए नेतृत्व से भी हो सकती है दोस्ती
रूस में सीरियाई समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) को मॉस्को की प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों की सूची से हटाने की मांग भी की जा रही है। जिसने इस महीने रूस के करीबी राष्ट्रपति बशर अल-असद को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी। रूस के मुस्लिम क्षेत्र चेचन्या के नेता रमजान कादिरोव ने सोमवार को कहा कि स्थिरता सुनिश्चित करने और मानवीय तबाही को रोकने के लिए रूस को नए सीरियाई अधिकारियों के साथ संबंधों की आवश्यकता है।