बेल्जियम। भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, चोकसी की गिरफ्तारी 12 अप्रैल को हुई थी। वह कैंसर का इलाज कराने के बहाने बेल्जियम पहुंचा था और वहां से स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में था। मगर इससे पहले वह भारतीय जांच एजेंसियों के जाल में फंस गया। भगोड़ा चोकसी पीएनबी बैंक घोटाले का आरोपी है।
सूत्रों के मुताबिक, भगोड़े चोकसी ने बेल्जियम में भारत और एंटीगुआ की नागरिकता की बात छिपाई थी। वहां से स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश कर रहा था। वह बेल्जियम में कैंसर का इलाज करवाने के बहाने पहुंचा था। भारतीय जांच एजेंसियां ईडी और सीबीआई इसे ट्रैक कर रहे थे। जानकारी मिलते ही बेल्जियम की जांच एजेंसियों को अलर्ट किया गया।
चोकसी से जुड़े तमाम दस्तावेज और ओपन अरेस्ट के कागजात भी बेल्जियम एजेंसियों से शेयर किए गए। इसके बाद बेल्जियम की सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी को पकड़ा। साल 2017 में इसने एंटीगुआ की नागरिकता ली थी। इसके एक साल बाद यानी 2018 में मेहुल चोकसी परिवार के साथ एंटीगुआ फरार हुआ था। वहीं, साल 2021 के आखिरी में वह एंटीगुआ से फरार हो गया था।
इससे पहले चोकसी डोमिनिका में भी एक बार पकड़ा जा चुका है लेकिन 51 दिन जेल में रहने के बाद इसे ब्रिटिश क्वीन की प्रिवी कौंसिल से राहत मिल गई थी। चोकसी पर PNB बैंक से 13,850 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है। चोकसी की कंपनी का नाम गीतांजलि जेम्स लिमिटेड था।
पीएनबी घोटाला भारत के बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़े वित्तीय धोखाधड़ी मामलों में से एक माना जाता है। यह घोटाला 2018 में सामने आया था और इसके मुख्य आरोपियों में हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी शामिल थे। पंजाब नेशनल बैंक ने फरवरी 2018 में खुलासा किया कि इसके मुंबई के ब्रैडी हाउस ब्रांच में लगभग 13,850 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी।
यह धोखाधड़ी फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के माध्यम से की गई, जो बैंक द्वारा जारी किए गए थे। इस धोखाधड़ी की शुरुआत 2011 में हुई और यह सात साल तक (2011-2018) जारी रही, जब तक कि एक नए कर्मचारी ने संदिग्ध गतिविधियों को नोटिस नहीं किया। इस घोटाले से पीएनबी के शेयरों में 40% से अधिक की गिरावट आई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।