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23 Feb 2025, Sun

तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड को ‘सुप्रीम’ फटकार, देर से याचिका दाखिल करने पर पूछा सवाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को कड़ी फटकार लगाई है, क्योंकि उसने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दो साल बाद याचिका दायर की है, जिसमें 2006 से 2014 के बीच कई इमारतों का निर्माण करने के लिए ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कारण बताओ नोटिस को रद्द करने का आदेश दिया गया था।
ये मामला कोयंबटूर जिले में बने योग केंद्र से जुड़ा है, जिसे सदगुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने बनाया है। मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जारी नोटिस को रद्द कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने टीएनपीसीबी की याचिका को ‘नौकरशाहों का मैत्रीपूर्ण खेल’ करार दिया और कहा कि यह सिर्फ अदालत की औपचारिक मंजूरी लेने जैसा है।
तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने महाधिवक्ता पीएस रमन से कहा कि अब जब ईशा फाउंडेशन ने कोयंबटूर जिले के वेल्लियांगिरी में एक योग और ध्यान केंद्र का निर्माण किया है, तो राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यावरण अनुपालन हो। वहीं इस मामले में ईशा फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से शिवरात्रि के बाद मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया, उन्होंने कहा कि एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाना है।
मामले में अब शिवरात्रि के बाद होगी सुनवाई
पीठ ने मामले की सुनवाई शिवरात्रि के बाद तय की। 14 दिसंबर, 2022 को, यह मानते हुए कि कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की तरफ से स्थापित सुविधाएं ‘शिक्षा’ श्रेणी में आएंगी, उच्च न्यायालय ने टीएनपीसीबी के नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि 2006 और 2014 के बीच कई भवनों के निर्माण के लिए अभियोजन क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर, 2021 के नोटिस को रद्द कर दिया, जबकि फाउंडेशन की ओर से इसके संस्थापक जग्गी वासुदेव की तरफ से प्रतिनिधित्व की गई याचिका को स्वीकार कर लिया। कारण बताओ नोटिस में तर्क दिया गया था कि फाउंडेशन ने पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना वेल्लियांगिरी की तलहटी में इमारतों का निर्माण किया था। केंद्र सरकार ने पहले उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि फाउंडेशन एक स्कूल चलाने के अलावा योग की शिक्षा भी दे रहा है। इसलिए, यह ‘शिक्षा’ के दायरे में आएगा।

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