प्रभात पांडेय
आजकल लोग सुबह से लेकर शाम तक अपने काम में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि अपनी सेहत का खयाल नहीं रख पा रहे हैं। इसके कारण आए दिन अस्पतालों का चक्कर भी लगाना पड़ रहा है। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों को कई जिम्मेदारियों का बोझ, बढ़ती दूरियां और अकेलेपन की वजह से अधिकतर लोगों की जिंदगी की हंसी गायब ही हो गई है।
आज की तेज रफ्तार वाली दुनिया में, हम अक्सर इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की तेज आंधी में फंस जाते हैं, हमेशा ज्यादा पाने, ज्यादा बनने और ज्यादा हासिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं। हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां गति को महत्त्व दिया जाता है, जहां सफलता इस बात से मापी जाती है कि हम अपने लक्ष्यों को कितनी जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस निरंतर दौड़ में हम एक बुनियादी सच्चाई को भूल जाते हैं: जितना धीरे चलोगे, उतनी जल्दी पहुंचोगे।
पहली नजर में, यह विचार अजीब लग सकता है। आखिरकार, धीरे चलने से हम अपनी मंजिल तक कैसे पहुंच सकते हैं? इसका सीधा सा जवाब है जब हम ठहरे हुए होंगे, रुके हुए होंगे तब हम अपने मन की, अंतरात्मा की आवाज को सुन सकते हैं वह क्या कहना चाह रही है उसको किस चीज में खुशी मिलती है यह हम समझ सकेंगे। क्योंकि जब हम जल्दी में होते हैं, अपनी इच्छाओं के पीछे दौड़ते हैं, तो हमारा मन बेचैन और चिंतित हो जाता है। चिंता हमारे निर्णय लेने की क्षमता को कम कर देती है, हमारी सोचने की शक्ति को कमजोर कर देती है, और हमारी ऊर्जा को खत्म कर देती है। चिंतित मन एक अशांत समुद्र की तरह है; वह न तो ज्ञान की रोशनी को कर सकता है और न ही उन अनोखे विचारों को जन्म दे सकता है जो वास्तविक सफलता के लिए आवश्यक हैं। धीमा होने का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी इच्छाओं- महत्वाकांक्षाओं को छोड़ दें या आलसी हो जाएं। इसका मतलब है कि हम जीवन के हर पल को जागरूकता और सावधानी के साथ जिएँ। इसका मतलब है कि हम अपने भीतर की गहराइयों से आने वाली आवाज़ों को सुनने, सोचने और विचार करने का समय निकालें। जब हम धीमे होते हैं, तो हम रचनात्मकता को पनपने का वक्त मिलेगा।
हम सफल जीवन जी रहे हैं या असफल, सुखी हैं या दुखी, आगे बढ़ रहे हैं या पीछे जा रहे हैं यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस दृष्टि से देख रहे हैं? हम सफलता का मापदंड इस बात से तय करते हैं कि जीवन के प्रति क्या दृष्टिकोण अपनाया है। जिस चीज को हम अपना केंद्र मानते हैं या धुरी बनाते हैं, उसी के इर्द-गिर्द घूमते हैं। जिस दृष्टिकोण से जीवन का लक्ष्य बनाया है, उसे पाने में जीवन की अधिकांश ऊर्जा लगाते हैं। सुख या दुख वस्तु के संग्रह से नापा जाएगा। इस दृष्टिकोण से सुख-दुख सापेक्षिक शब्द बन जाता है। अनोखे विचार जो हमारे जीवन को बदल सकते हैं, हमें नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं, और हमें स्थायी संतुष्टि दे सकते हैं, अशांत मन से नहीं आते।
वर्तमान मनुष्य पैसे के लिए पागल हुआ घूम रहा है। जिसे देखो अधिक से अधिक पैसा कमाकर अमीर बनने और अपने जीवन को अधिक सुविधायुक्त बनाने की धमाल चौकड़ी में लगा हुआ है। ये प्रवृत्ति आज के युवाओं की मानसिकता का एक हिस्सा है और हो भी क्यों न क्योंकि हम उन्हें बचपन से ही ये सिखाते है बेटा अच्छा पड़ेगा तो अच्छी नौकरी लगेगी, अच्छी नौकरी लगेगी तो अच्छा पैसा मिलेगा, अच्छा पैसा मिलेगा तो जीवन में अच्छी सुविधाएं आएँगी, बस फिर तो लाइफ सेट है। ये पाठ आज के हर माता पिता अपने बच्चे को पढ़ाने में लगे है। माता-पिता वो सब काम अपने बच्चों से करवाना चाहते है जिन्हें करने में वे स्वयं असफल रहे है।
अपने मंजिल को पाने के लिए पॉजिटिव सोच रखना और खुद पर यकीन रखना बहुत जरूरी होता है। पॉजिटिव सोच आपकी अपेक्षाओं को ऊंचा रखते हैं, आपको याद दिलाते हैं कि क्या संभव है। मंजिल को पानी में कई सारी कठिनाई और चुनौतियां आ सकती हैं लेकिन याद रखें वह सारी अस्थाई यानी कि टेंपरेरी है और यकीन करते रहे कि आप सफल हो सकते हैं अगर आपको नेगेटिव ख्याल आते हैं तो उन्हें पॉजिटिव ख्यालों से बदल दें अपने आप को अपनी अपनी स्थिति के बारे में सोचने का समय दें।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुश रहना एक बहुत बड़ी कला है। विपरीत परिस्थिति में भी जो व्यक्ति अपने आप को खुश और सकारात्मक रखता है समझो उसने अपने जीवन की आधी मुश्किल खुद ही कम कर ली है, लेकिन सभी लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसा कोई नहीं है जो खुश न रहना चाहता हो। चाहे वह आपका परिवार हो, आपका काम हो या कुछ और, जिंदगी में ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो आपको खुशी देती हैं। सभी के पास उन चीजों की एक लिस्ट होती है, जिनसे उन्हें खुशी मिले, चाहे वह ज्यादा हो या कम। हालांकि, आपकी कुछ आदतें भी आपको एक जिंदादिल और खुशहाल व्यक्तित्व दे सकती हैं।
दुनिया बहुत बड़ी है और यहां रोज कुछ न कुछ नया होता रहता है। ऐसे में अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो नई चीजों या बदलावों के लिए हमेशा तैयार रहें। हमेशा कुछ नया सीखने या जानने की कोशिश करें। नए अनुभव हासिल करें और अपनी खुशियों को भी नया आयाम देती रहें। कुछ भी हमेशा के लिए नहीं है हमेशा याद रखें कि दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं है, जिसका अंत न हो। कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं रहती। अगर आप यह मंत्र याद रखेंगे तो आप बुरे वक्त को सहन कर पाएंगे और अच्छे वक्त में बेहतर महसूस कर सकेंगे।