कोलकाता, एजेंसी। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुआ। इस विरोध प्रदर्शन में हिंसा हुई, इसी के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने इस मामले को रखा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक और याचिका है, उसके साथ इसको संबंध कर दें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते। जस्टिस कांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड की अदालत है। भावी पीढ़ी देखेगी। आपको लगता है कि इसकी रिपोर्ट की जाएगी, लेकिन आपको याचिका दायर करते समय या आदेश पारित करते समय सावधान रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा कि आपने कितने जनहित के मामले दाखिल किए हैं। अनुच्छेद 32 के तहत हमें क्यों सुनना चाहिए। वकील शशांक शेखर ने कहा कि पालघर साधुओं के मामले पर मैंने ही याचिका दायर की थी। यह मामला मानवाधिकारों के उल्लंघन का है और राज्य में कानून व्यवस्था बहुत खराब है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आपको जानकारी कहां से मिली, क्या ये सही है। वकील ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बहुत जल्दी में हैं। वकील ने कहा मुझे याचिका वापस लेकर संशोधन की मंजूरी दें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आपको दलीलों में इन सभी अभिव्यक्तियों का उल्लेख करना चाहिए? क्या यह दलीलों में शालीनता का मानक है जिसका आपने पालन किया है। वकील शशांक ने कहा कि रेलवे द्वारा प्रेस विज्ञप्ति में भी इस संबंध में टर्मोलॉजी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आंतरिक संचार होना चाहिए। हम आपको सिर्फ सलाह दे सकते हैं और हम समझने की कोशिश कर रहे हैं।
वकील शशांक ने कहा, बंगाल में हालत यह है कि लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका कथन है कि कानून और व्यवस्था खराब है। ऐसी विफलता को रोकने के कारण और उपचारात्मक कदमों के साथ क्या उपाय किए जा सकते हैं। ऐसा याचिका में नहीं है जैसा आपने किया है। आप ए और बी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं जो हमारे सामने नहीं हैं। शशांक ने कहा कि वे सरकारी अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ आरोप लगाने पर आपको उन्हें पक्षकार बनाने की जरूरत है। क्या हम उन व्यक्तियों के पीछे उन आरोपों को स्वीकार किया जा सकता है।
शशांक ने कहा कि मैं याचिका में संशोधन करूंगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसीलिए हमने कहा कि आप बहुत जल्दी में हैं।
कोर्ट ने कहा, हां, बेजुबानों को न्याय मिलना अच्छा है, लेकिन उचित तरीके से न्याय होना चाहिए। ऐसे नहीं। शशांक ने कहा कि कृपया मुझे याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की छूट दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर दस्तावेजों और कथनों के साथ याचिका दायर करने की अनुमति दी जाती है।