नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो फ्लाइट से जुड़े संकट मामले में तुरंत दखल देने से इनकार कर दिया है। याचिका में इस मुद्दे को तुरंत सूचीबद्ध करने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हालात जस के तस होते तो अलग बात थी, हम समझते हैं कि लाखों लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकार मामले को देख रही है, उन्हें ही इसे संभालने दें। वहीं याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि 2500 उड़ानें विलंबित हैं और 95 हवाई अड्डे प्रभावित हैं।
पिछले 7 दिन से इंडिगो की ज्यादातर उड़ानें कैंसिल हो रही हैं, जिसे लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी और तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई थी। आज भी 200 से ज्यादा फ्लाइटें रद्द हैं। यात्री परेशान हो रहे हैं। याचिका में प्रभावित यात्रियों के लिए वैकल्पिक यात्रा और मुआवजे की मांग की गई थी।
उड़ानों के रद्द होने के पीछे पायलटों के लिए बनाए गए नए FDTL नियमों की योजना को गलत बताया गया। याचिका में यह भी कहा गया कि इस तरह से इंडिगो के उड़ानों को रद्द करना अनुच्छेद 21 के अधिकारों का उल्लंघन है। 14-15 घंटे की मेहनत और 40 हजार सैलरी, जान लीजिए IndiGo कर्मचारियों का हाल यूं ही नहीं आसमान से जमीन पर आ गईं उड़ानें
आज भी उड़ानें रद्द
इंडिगो की उड़ानें आज सातवें दिन भी रद्द हो रही हैं। कंपनी ने सोमवार को दिल्ली और बेंगलुरु हवाई अड्डों से 250 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं। दिल्ली हवाई अड्डे से कुल 134 उड़ानें रद्द की गईं, जिनमें रवाना होने वाली 75 और पहुंचने वाली 59 उड़ान शामिल हैं। बेंगलुरु हवाई अड्डे से 127 उड़ानें रद्द होने की जानकारी है। इस मामले में डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) ने कंपनी के सीईओ को नोटिस जारी किया है। आज शाम 6 बजे तक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पीटर एल्बर्स और जवाबदेही प्रबंधक इस्द्रो पोर्क्वेरास को जवाब देना है। अगर समय पर जवाब नहीं दिया गया तो आवश्वयक कार्रवाई की बात कही गई है। उड़ानें रद्दे होने के पीछे कंपनी ने पायलटों की नयी उड़ान ड्यूटी और नियमों में हुए बदलाव का हवाला दिया है। उड़ानें रद्द होने के कारण लाखों यात्री देशभर के हवाई अड्डों पर फंस रहे हैं।
6 दिसंबर को सीजेआई के घर पहुंचे थे याचिकाकर्ता के वकील
इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल और देरी से चलने की प्रक्रिया की वजह से यात्रियों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। ऐसे में 6 दिसंबर को याचिकाकर्ता के वकील CJI सूर्यकांत के घर पहुंचे और उनसे इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की मांग की थी।

