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23 Dec 2024, Mon

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने मॉस्को में क्यों ली शरण, ईरान पर क्यों नहीं जताया भरोसा?

सीरिया। मिडिल ईस्ट में ईरान को एक और बड़ा झटका लगा है। हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही गुटों ने 11 दिन के अंदर सीरिया में ईरान के करीबी बशर अल-असद की सरकार का तख्तापलट कर दिया, इस बीच राष्ट्रपति बशर अल-असद आनन-फानन में इस्तीफा देकर मॉस्को पहुंच गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तख्तापलट से पहले ही उनका परिवार भी मॉस्को पहुंच चुका था।
उधर सीरिया में असद सरकार को बचाने में नाकाम रहने के बाद रूस ने असद परिवार को राजनीतिक शरण दी है। असद सरकार में दमिश्क के दो सबसे करीबी दोस्त रूस और ईरान रहे हैं, सीरिया से ईरान की दूरी करीब 1900 किलोमीटर है जबकि रूस तक की दूरी 4500 किलोमीटर से ज्यादा है, ऐसे में सवाल उठता है कि इस मुश्किल घड़ी में भी असद ने तेहरान न जाकर मॉस्को जाने का फैसला क्यों किया?
असद ने मॉस्को में क्यों ली शरण?
दरअसल ईरान भले ही सीरिया के करीब हो लेकिन वह मॉस्को जैसी सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकता है। कुछ महीने पहले ही हमास चीफ इस्माइल हानिया, तेहरान में बतौर स्टेट गेस्ट मौजूद थे लेकिन एक हमले में उनकी मौत हो गई। इजराइल ने भले ही हानिया की हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन तमाम एक्सपर्ट्स इस हमले के लिए इजराइल को ही जिम्मेदार मानते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि सीरिया के मसले पर तुर्किए और इजराइल साथ-साथ हैं, यानी अगर असद ईरान जाते तो मुमकिन है तुर्किए, इजराइल के जरिए उनके लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता था।
ईरान में सुरक्षा की गारंटी नहीं!
ईरान मौजूदा समय में खुद बड़े संकट में है। कुछ दिनों पहले ही मीडिया रिपोर्ट में इजराइली अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया था कि ट्रंप के करीबी ईरान में सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई की सत्ता का तख्तापलट करने की प्लानिंग कर रहे हैं, लिहाज़ा असद परिवार के लिए तेहरान की तुलना में मॉस्को में रहना कहीं ज्यादा सुरक्षित है।
महज़ 11 दिन में असद सरकार का तख्तापलट
सीरिया में 27 नवंबर से विद्रोही गुटों ने सरकार के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की और 8 नवंबर यानी महज़ 11 दिनों में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया। ईरान और रूस ने असद सरकार को बचाने के लिए कोशिश तो की लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाए। ईरान के प्रॉक्सी गुट जहां इजराइल के साथ जंग में कमज़ोर पड़ चुके हैं तो वहीं रूस, यूक्रेन के खिलाफ 33 महीनों से युद्ध लड़ रहा है। ऐसे में सीरिया के दोनों ही बड़े सहयोगी विद्रोहियों की आक्रामकता के सामने नाकाम हो गए। इस दौरान सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने तख्तापलट से कुछ घंटों पहले ही इस्तीफा देकर मॉस्को रवाना हो गए, उन्होंने परिवार समेत रूस में शरण ले ली।

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