नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्ट किया है कि बैंकों और नॉन बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ओर से ग्राहकों पर लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्कों पर वस्तु एवं सेवा कर नहीं लगता है। सीबीआईसी ने एक सर्कुलर के जरिये यह भी स्पष्ट किया कि ऑनलाइन भुगतान मंचों पर पेमेंट एग्रीगेटरों की ओर से 2000 रुपये तक भुगतान मुहैया कराने पर भी जीएसटी नहीं लगेगा।
सर्कुलर में कहा गया है, रिजर्व बैंक की ओर से शासित इकाइयों की ओर से लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्क अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन के कारण लगाए जाने वाली प्रकृति के होते हैं इसलिए इनपर जीएसटी नहीं लगेगा। सीबीआईसी ने कहा, 55वीं जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुरूप यह स्पष्ट किया जाता है कि विनयमित इकाइयों की ओर से ऋण लेने वालों की तरफ से ऋण अनुबंधों की शर्तों और मैटेरियल शर्तों का उल्लंघन करने पर लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्क पर कोई जीएसटी देय नहीं है। अभी बैंक अपने ग्राहकों से दंडात्मक शुल्क वसूलने के साथ उसपर जीएसटी भी लगाते हैं। मगर अब सीबीआईसी के स्पष्टीकरण के बाद ग्राहकों को राहत मिलेगी।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि यह स्पष्टीकरण बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जमीनी स्तर पर विवादों को खत्म करेगा। मोहन ने कहा, यह मानते हुए कि अनुबंध पूरे करने के लिए होते हैं, तोड़ने के लिए नहीं, जीएसटी काउंसिल ने इस तरह शुल्कों पर कराधान को लेकर जारी अस्पष्टता खत्म कर दी थी।
बैंकों की ओर से लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्कों पर जीएसटी नहीं, सीबीआईसी ने सर्कुलर जारी कर साफ की स्थिति
