कोविड की वजह से दुनियाभर में तबाही देखने को मिली थी और अब कुछ दिनों से चीन में एक नए वायरस ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) ने दस्तक दी है। यह वायरस बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है और भारत में भी इसके दो मामले देखने में आए हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इसकी पुष्टि कर दी है। सरकार भी इसको लेकर अलर्ट पर है, क्योंकि यह वायरस भी खांसने, छींकने से फैलता है। बच्चों में ये वायरस फैलने की वजह से चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई है। जो बच्चे कमजोर इम्यूनिटी वाले हैं, उनके इस वायरस की चपेट में आने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
एचएमपीवी वायरस के लक्षण भी कोविड की तरह दिखाई दे रहे हैं। अगर इस वायरस से कोई बच्चा या शिशु संक्रमित होता है तो सबसे पहला लक्षण खांसी आना दिखाई देता है। खांसी में कफ हो सकता है साथ ही बुखार भी आने लगता है। इस स्थिति में तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है, नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है। क्योंकि ये वायरस सांस की नली में जाकर लंग्स को इफेक्ट करता है और इससे सीने में दर्द के साथ ही सांस लेने में समस्या होने लगती है। जान लेते हैं कि लक्षण दिखाई देने पर कैसे बच्चों की देखभाल करनी चाहिए।
HMPV वायरस को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, दिल्ली के इंटरनल मेडिसिन और डायबिटोलॉजिस्ट डॉ। अनिल गोम्बर का कहना है कि भारत में भी यह वायरस नहीं फैला है, लेकिन आगे आने वाले समय में इसके जोखिम को देखते हुए सतर्क रहने की जरूरत है। छोटे बच्चों के अलावा बुजुर्गों में भी यह वायरस संक्रमण फैला सकता है, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी वीक होती है। इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना है।
एचएमपीवी से बचने के लिए ये बरतें सावधानी
यह वायरस खांसने और छींकने के दौरान दूसरे को संक्रमित कर सकता है, इसलिए अगर किसी में इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो बच्चे या फिर कमजोर इम्यूनिटी वाले इंसान को उससे दूर रखें। इसके अलावा बाहर निकलते वक्त मास्क का इस्तेमाल करें। बच्चों को खाना खिलाने से पहले खुद के और उनके हाथ अच्छे से साफ करवाए। कोई भी काम करने से पहले हाथ धोना न भूलें। बच्चों को ज्यादा भीड़ भाड़ वाली जगहों पर ले जाने से बचें। बुखार और खांसी के साथ ही अगर सीने में दर्द और सांस लेने में समस्या हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
एचएमपीवी का किस पर कितना असर?
-मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है।इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वास नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।
-कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।
कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोना वायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी। वहीं, एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है।
क्या हो सकता है खतरा
कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।
तीन से पांच दिन तक रहता है इसका असर
इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) क्या है?
कोविड- 19 के बाद चीन में तेजी से फैलने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस न्यूमोविरिडे परिवार से है, जो कि श्वसन सिंकिटियल वायरस के परिवार से संबंधित है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के कुछ इलाकों में इस वायरस से ग्रसित मरीजों की वजह से अस्पताल भरे पड़े हैं. हालांकि, चीनी अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी तक आपातकालीन स्थिति की घोषणा नहीं किया है. इस वायरस की खोज साल 2001 में हुई थी. सांस से संबंधित यह वायरस ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है.
इस आयु वर्ग में के लिए खतरनाक है HMPV वायरस
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी एचएमपीवी वायरस सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है. लेकिन इस वायरस की चपेट में कुछ आयु के लोग जल्दी आ जाते हैं.
एचएमपीवी वायरस की चपेट में पांच साल की उम्र से कम आयु वाले बच्चे जल्दी आते हैं.
इस वायरस की गिरफ्त में 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जल्दी आते हैं.
इसके अलावा, जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी सिस्टम) ठीक नहीं रहती है.