वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही कई ऑर्डर पास किए हैं और पूरी दुनिया को एक झलक दी है कि आने वाले 4 साल वह अपना प्रशासन कैसे चलाएंगे। ट्रंप ने पहले ही दिन से बाइडेन प्रशासन से उलट कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने पिछले कार्यकाल के 51 खुफिया अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी निलंबित कर दी है। इसके अलावा कई ऐसे ऑर्डर पास किए हैं, जिनका असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहने वाला, बल्कि ग्लोबल ऑर्डर पर पड़ेगा। भारत पर भी कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन आदेशों का प्रभाव पड़ने की आशंका है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को डब्ल्यूएचओ और पेरिस एग्रीमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज से बाहर कर लिया है। साथ ही उन्होंने चीन के राष्ट्रपति को अपने शपथ ग्रहण समारोह में न्योता दिया और जल्द ही उनके साथ बैठक करने के संदेश दिए हैं। इसके साथ-साथ ट्रंप का प्रवासियों के लेकर रुख भारतीयों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
डब्ल्यूएचओ से बाहर अमेरिका
डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को बाहर कर दिया है। ट्रंप के इस फैसले के पीछे उनका ये मानना है कि कोरोना काल में डब्ल्यूएचओ ने राजनीतिक प्रभावों, विशेष रूप से चीन के प्रभाव में काम किया। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर महामारी के शुरुआती चरणों को ठीक से न संभालने और चीन को इसकी उत्पत्ति के बारे में दुनिया को गुमराह करने की छूट देने का आरोप लगाया।
डब्ल्यूएचओ भारत में कई मिशनों पर काम करता है और इसकी स्वास्थ्य से जुड़ी लाभकारी योजनाओं के चलते भारत के हजारों गरीब परिवार को मदद भी मिलती है। साथ ही भारत के स्वास्थ्य ढांचे में हो रहे सुधार में भी डब्ल्यूएचओ की भूमिका है। अमेरिका के इससे अलग होने से दुनिया में इसका प्रभाव कम होगा, जो भारत के लिए निगेटिव इम्पैक्ट वाला हो सकता है।
पेरिस एग्रीमेंट से दूरी
सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालते ही व्हाइट हाउस ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका एक बार फिर जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते से हट रहा है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी समझौते से अमेरिका को बाहर निकाला था लेकिन जो बाइडेन ने सत्ता संभालते ही अमेरिका को इस में शामिल किया था।
ट्रंप के सत्ता संभालते ही अमेरिका में फोसिल फ्यूल को बढ़ावा देने और पेरिस समझौते से बाहर आने का आदेश पास होना इस बात का संकेत है कि अमेरिका अब जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में हिस्सा नहीं लेगा। भारत भी पेरिस एग्रीमेंट का हिस्सा है और ग्रीन एनर्जी के लिए अहम योगदान दे रहा है। ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन रोकने की सबसे ज्यादा जरूरत है, तब अमेरिका का ये कदम इसके लक्ष्यों को कमजोर करेगा।
प्रवासियों को लेकर ट्रंप का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रवासियों के मुद्दों पर आक्रामक रहे हैं। ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका में आव्रजन और शरण पर नए प्रतिबंधों का ऐलान किया और कहा कि वह अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर सेना भेजेंगे और जन्मजात नागरिकता को खत्म करेंगे।
प्रवासियों को लेकर ट्रंप के ये फैसले उन भारतीयों के सपनों पर पानी फेर सकते हैं जो रोजगार या पढ़ाई के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें कानूनी तरीके से आए प्रवासियों से कोई दिक्कत नहीं है और उन्हें वह पसंद करते हैं। ट्रंप ने कहा, “हमें लोगों की जरूरत है और मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। हम यह चाहते हैं, लेकिन कानूनी तरीके से।”
चीन पर ट्रंप का रुख
वैसे तो अमेरिका के साथ चीन के कई विवाद हैं, लेकिन ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह चीन के साथ अपने रिश्ते अच्छे कर सकते हैं। ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में चीन के प्रधानमंत्री को निमंत्रण भेजा था, यही नहीं चीनी कंपनी टिक-टॉक के मालिक भी ट्रंप के इस समारोह में शामिल रहे। ट्रंप जल्द ही शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ सकता है। ट्रंप की चीन से नजदीकी उसको रूस अलग करने में मदद करेगी, लेकिन भारत के लिए ये अच्छा संकेत नहीं है। एशिया में अमेरिका के चीन की तरफ जाने से उसकी भारत से दूरी बढ़ सकती है, क्योंकि एशिया में दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं।