ढाका, एजेंसी। बांग्लादेश में हर साल होने वाला टेक्स्ट-बुक फेस्टिवल 2025 में नहीं किया जाएगा। प्राथमिक एवं जन शिक्षा मंत्रालय के सलाहकार प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय पोद्दार ने रविवार को कहा कि पारंपरिक रूप से 1 जनवरी को आयोजित होने वाला वार्षिक पाठ्यपुस्तक महोत्सव 2025 में नहीं होगा। टेक्स्ट-बुक फेस्टिवल न होने के पीछे नई सरकार पर काम के दबाव को माना जा रहा है। बांग्लादेश में हर साल जनवरी के दौरान ये फेस्टिवल आयेजित होता है और शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूली छात्रों को किताबी बांटी जाती हैं।
खुलना में बिधान रंजन ने डिविजनल कमिश्नर ऑफिस में एक प्रेस वार्ता की जिसमें उन्होंने कहा कि सभी छात्रों को जनवरी के अंत तक पुस्तक बांटी जाएंगी। पुस्तक वितरण में हुई देरी का कारण रंजन ने किताबों की छपाई के लिए विदेशी टेंडर में आ रही दिक्कतों को बताया है।
उन्होंने कहा, “5 अगस्त को टेंडर रद्द कर दिया गया और एक नया टेंडर शुरू किया गया है, जिससे छपाई प्रक्रिया में देरी हुई है। इसके बावजूद हमारा लक्ष्य जनवरी तक प्राथमिक स्तर की किताबें वितरित करना है।” इसके अलावा सलाहकार ने नए पाठ्यक्रम में आ रही चुनौतियों को भी स्वीकार किया।
नए पाठ्यक्रम से बढ़ेगा छात्रों पर दबाव
बिधान रंजन ने कहा, “नए पाठ्यक्रम से छात्रों पर कुछ दबाव बढ़ेगा, जो जन-विद्रोह के बाद आने वाली परेशानियों को देखते हुए समान्य है। हालांकि हमें इसके मुताबिक ढलते हुए आगे बढ़ना होगा।” सलाहकार ने अगले पांच सालों के अंदर सभी प्राइमरी स्कूलों में मिड डे मील प्रोग्राम का विस्तार करने की सरकार योजना का भी खुलासा किया, जिसकी शुरुआत पहले चरण में 150 उपजिलों से होगी।
बजट में शिक्षा का महज 2 फीसद हिस्सा
शिक्षा क्षेत्र में वित्तीय बाधाओं पर जोर देते हुए सलाहकार ने कहा, “बांग्लादेश अपने राष्ट्रीय बजट का सिर्फ 2 फीसद ही शिक्षा के लिए आवंटित करता है, जो दक्षिण एशिया में सबसे कम है। जबकि यूनेस्को ने 6 फीसद की सिफारिश की है। शिक्षकों की वित्तीय और सामाजिक स्थिति में सुधार प्रगति के लिए जरूरी है।” उन्होंने आधारभूत स्किल्स की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्राथमिक स्तर पर साक्षरता और भाषा और गणित में दक्षता पर खास ध्यान वैश्विक ज्ञान तक पहुंचने की कुंजी है।”