नई दिल्ली, एजेंसी। भाजपा पर दिल्ली में लोगों के वोट काटने का आरोप लगाकर अब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह खुद फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल भाजपा ने संजय सिंह की पत्नी पर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर और दिल्ली में, दोनों जगह बतौर मतदाता पंजीकृत होने पर सवाल उठाए थे। अब भाजपा ने संजय सिंह पर भी कई जगह बतौर मतदाता पंजीकृत होने का आरोप लगा दिया है और इसके पक्ष में सबूत भी पेश किए हैं।
अमित मालवीय ने संजय सिंह पर लगाए आरोप
भाजपा नेता अमित मालवीय ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। पोस्ट में अमित मालवीय ने संजय सिंह पर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के साथ ही दिल्ली में हरिनगर, तिलक नगर और नई दिल्ली विधानसभा सीटों की वोटर लिस्ट में बतौर मतदाता पंजीकृत होने का आरोप लगाया है। अमित मालवीय ने लिखा कि ‘आप सांसद संजय सिंह के पास अपनी पत्नी के संदिग्ध चुनावी रिकॉर्ड का कोई जवाब नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली दोनों में उनका अपना रिकॉर्ड और कई पंजीकरण न केवल पेचीदा हैं, बल्कि आपराधिक भी हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के एक मंच माइनेता डॉट कॉम के अनुसार, संजय सिंह ने साल 2018 के हलफनामे में खुद को दिल्ली के हरि नगर निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता बताया था। उस हलफनामे का स्क्रीनशॉट शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि 2022 में यूपी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए प्रकाशित मतदाता सूची में भी संजय सिंह और उनकी पत्नी का नाम शामिल दिखाई देता है।’
भाजपा नेता ने की चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग
अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए पूछा कि ‘अगर संजय सिंह साल 2018 में हरि नगर विधानसभा क्षेत्र में पंजीकृत थे, तो उनका नाम साल 2022 में यूपी मतदाता सूची में नहीं होना चाहिए था। लेकिन ऐसा था! फिर, जनवरी 2024 में, जब उन्होंने दूसरी बार राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, तो उन्होंने घोषणा की कि वे दिल्ली के तिलक नगर में पंजीकृत मतदाता हैं। एडीआर ने भी इसकी पुष्टि की है।’
भाजपा नेता ने लिखा कि ‘2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने (संजय सिंह) नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में मतदान किया। इसमें कोई समस्या नहीं, लेकिन वे तिलक नगर और नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र दोनों में पंजीकृत थे। आज की तारीख में भी आप सांसद संजय सिंह, तिलक नगर और नई दिल्ली विधानसभा, दोनों में मतदाता हैं। ये उल्लंघन और कई पंजीकरण आप सांसद संजय सिंह पर कई सवाल खड़े करते हैं। इस मामले में चुनाव आयोग और उपराष्ट्रपति को कार्रवाई करनी चाहिए।