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29 Apr 2025, Tue

नेपाल की सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम, राजशाही के लिए छिड़ सकता है गृह युद्ध

काठमांडू, एजेंसी। नेपाल इन दिनों जबरदस्त सियासी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. बीते कुछ दिनों में कई बड़े प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें देश में राजशाही की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है. राजशाही समर्थक संगठन अब सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं.
इस बीच, उन्होंने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दे दिया है. उनका साफ कहना है कि अगर तय समय के भीतर उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो विरोध प्रदर्शन को और उग्र किया जाएगा.
सरकार को मिला अल्टीमेटम, प्रदर्शन की चेतावनी
संयुक्त जन आंदोलन समिति के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में शुक्रवार को त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास विशाल रैली निकालने का ऐलान किया गया है. इस आंदोलन के मुख्य चेहरों में शामिल 87 वर्षीय नबराज सुबेदी ने कहा, “हम सरकार और सभी गणतंत्र समर्थक दलों को एक हफ्ते की मोहलत दे रहे हैं. हम अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रख रहे हैं, लेकिन अगर हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो हमें प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारा लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता.”
क्या हैं राजशाही समर्थकों की मांगें?
संयुक्त जन आंदोलन समिति के प्रवक्ता नबराज सुबेदी के अनुसार, नेपाल में 1991 का संविधान फिर से लागू किया जाना चाहिए, जिसमें संवैधानिक राजशाही, बहुदलीय व्यवस्था और संसदीय लोकतंत्र को जगह दी गई थी. इसके अलावा, उनका कहना है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए और मौजूदा संविधान में जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए ताकि पुराने कानून वापस लाए जा सकें.
लोकतंत्र समर्थक भी सड़क पर उतरेंगे
जहां एक तरफ राजशाही समर्थक सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं, वहीं लोकतंत्र समर्थक भी जवाबी प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. शुक्रवार को चार दलों के गठबंधन ‘सोशलिस्ट रिफॉर्म’ ने भी लोकतंत्र के पक्ष में रैली निकालने का ऐलान किया है. इस प्रदर्शन में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और सीपीएन समेत अन्य दल भी शामिल होंगे. इनका कहना है कि नेपाल की जनता ने लोकतंत्र के लिए लंबा संघर्ष किया है और इसे खत्म नहीं होने दिया जाएगा.
संभावित झड़पों को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई गई
सरकार ने राजधानी काठमांडू में बढ़ते तनाव को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. करीब 5000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि किसी भी तरह की हिंसा को रोका जा सके. खुफिया एजेंसियों ने भी इस प्रदर्शन के दौरान झड़पें होने की आशंका जताई है.

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