लेटेस्ट न्यूज़
22 Dec 2024, Sun

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन के कारण बंद शंभू बॉर्डर खोलने की याचिका खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में उन राजमार्गों पर अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र एवं अन्य को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका खारिज की, जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मामला पहले से ही अदालत में लंबित है और वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने पंजाब में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा, ‘हम पहले ही व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की फिक्र नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं।’
किसानों ने पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डाला डेरा
अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हैं। 13 फरवरी को सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने से रोक लिया था।
रविवार को दिल्ली कूच की कोशिश की
प्रदर्शनकारी किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने के बाद उन्होंने अपना मार्च स्थगित कर दिया। रविवार, 8 दिसंबर को ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च फिर से शुरू हुआ और उसी कारण से फिर से रोक दिया गया।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में आरोप है कि किसानों और उनके संगठनों ने बेमियादी अवधि के लिए पंजाब में समस्त राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है। याचिकाकर्ता ने यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि आंदोलनकारी किसान राष्ट्रीय राजमार्गों तथा रेलवे पटरियों को अवरुद्ध नहीं करें।
याचिका में आरोप लगाया गया कि राजमार्गों को अवरुद्ध करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि देश की उत्तरी सीमाओं की ओर सेना का पूरा आवागमन पंजाब से होकर गुजरता है। इसमें कहा गया है कि राजमार्गों पर स्वतंत्र आवाजाही नागरिक के मौलिक अधिकार के अंतर्गत आती है, जिसका किसानों द्वारा पूरे पंजाब राज्य में राजमार्गों को अवरुद्ध करके उल्लंघन किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *