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2 Jun 2025, Mon

बुजुर्गों को मिलने वाली छूट बंद कर रेलवे ने की बंपर कमाई, क्‍या दोबारा शुरू होगी स्‍कीम?

नई दिल्‍ली: भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट बंद करके पिछले पांच सालों में लगभग 8,913 करोड़ रुपये कमाए हैं। यह जानकारी RTI (सूचना का अधिकार) के तहत मिली है। रेलवे ने यह छूट कोरोना महामारी के दौरान बंद कर दी थी। संसद में कई बार इस छूट को फिर से शुरू करने की बात उठी। लेकिन, रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे पहले से ही हर यात्री को औसतन 46% की छूट दे रहा है।
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) ने RTI के जवाब में यह जानकारी दी है। पहले, 60 साल से ज्‍यादा उम्र के पुरुषों और ट्रांसजेंडरों को टिकट पर 40% और 58 साल से ज्‍यादा उम्र की महिलाओं को 50% की छूट मिलती थी। यह छूट 20 मार्च, 2020 से पहले मिलती थी।
आरटीआई से पता चला है कि 20 मार्च, 2020 से 28 फरवरी, 2025 के बीच 31.35 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने बिना छूट के यात्रा की। इस वजह से रेलवे को 8,913 करोड़ रुपये ज्‍यादा मिले।
चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने
मध्य प्रदेश के RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्होंने रेल मंत्रालय में कई RTI आवेदन किए। उन्होंने कहा, ‘मैंने 20 मार्च, 2020 से लेकर रेल मंत्रालय में आरटीआई अधिनियम के तहत कई आवेदन दायर किए और सबसे हालिया आवेदन मार्च 2025 का था। जब मैंने डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि लगभग 18.279 करोड़ पुरुषों, 13.065 करोड़ महिलाओं और 43,536 ट्रांसजेंडर यात्रियों, सभी वरिष्ठ नागरिक, ने 20 मार्च, 2020 से 28 फरवरी, 2025 के बीच यात्रा की।’ इसका मतलब है कि इन लोगों को टिकट के पूरे पैसे देने पड़े।
गौड़ ने बताया कि भारतीय रेलवे को पुरुष यात्रियों से लगभग 11,531 करोड़ रुपये, महिला यात्रियों से 8,599 करोड़ रुपये और ट्रांसजेंडर यात्रियों से 28.64 लाख रुपये मिले। उन्होंने कहा, ‘इन सभी यात्रियों से कुल 20,133 करोड़ रुपये की आय हुई। ट्रेन यात्रा पर पुरुष और ट्रांसजेंडर यात्रियों के लिए 40 फीसदी और महिलाओं के लिए 50 फीसदी छूट को हटाने के चलते रेलवे को 8,913 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हुई।’ यानी, छूट बंद करने से रेलवे को इतना ज्‍यादा फायदा हुआ।
संसद में कई बार उठ चुका है मामला
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि रेलवे पहले से ही हर यात्री को काफी छूट दे रहा है। इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों को अलग से छूट देना मुश्किल है। लेकिन, कई लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों को छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि वे अक्सर कम आय वाले होते हैं। यह मामला संसद में भी कई बार उठाया गया है। सांसद चाहते हैं कि सरकार इस पर फिर से विचार करे। लेकिन, अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
रेलवे का कहना है कि छूट बंद करने से जो पैसा बचा है, उसे रेलवे की सेवाओं को बेहतर बनाने में लगाया जा रहा है। इससे यात्रियों को ज्‍यादा सुविधा मिलेगी। लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि यह पैसा वरिष्ठ नागरिकों को ही मिलना चाहिए।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।

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