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14 Jan 2025, Tue

5 साल से छोटे बच्चे को सिखाना है अनुशासन तो अपनाएं ये तरीके

बच्चों को सभ्य बनाने के लिए अच्छी शिक्षा के साथ ही अच्छे संस्कार देने चाहिए। संस्कार बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाते हैं, जो बड़े होने पर उसको समाज में सम्मान दिलाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को अनुशासन का पाठ भी पढ़ाना चाहिए। बच्चे का मन बहुत कोमल होता है। वह जो देखते हैं, वही सीखते हैं। बच्चे से प्यार सामान्य है लेकिन अक्सर माता पिता का लाड प्यार बच्चे को बिगाड़ देता है। बच्चा जिद्दी हो जाता है और अपनी मन मर्जी चलाने लगता है। बच्चे में अनुशासनहीनता आ जाती है, जिसके कारण वह शिक्षा से भटकता है, साथ ही सामाजिक तौर पर भी कमजोर बनता है।
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का भविष्य बेहतर बने और वह बड़ा होकर एक आदर्श नागरिक व अच्छा बेटा बने, तो उसे बचपन से ही अनुशासन सिखाएं। बच्चे को अनुशासन का पाठ छोटी उम्र में ही देना शुरू कर दें। बच्चा 4-5 साल की उम्र में समझने लायक हो जाता है। ऐसे में छोटी उम्र में बच्चे को बताना शुरू कर दें कि क्या गलत है और क्या सही?, उसे कैसे बर्ताव करना चाहिए और अच्छे बुरे की पहचान बताएं।
बच्चे का रूटीन सेट करें
बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए उन्हें समय का महत्व बताएं। बच्चे को सिखाएं कि हर काम सही वक्त पर किया जाना चाहिए। जैसे सुबह सही समय पर उठना और रात में सही समय पर सोना। इसके अलावा उनके नाश्ते, लंच व रात के डिनर के साथ ही कब खेलना है और कब पढ़ना है, ये भी तय करें। तय रूटीन के मुताबिक रहने से बच्चा अनुशासित रहता है।
जिद करने पर ध्यान भटकाएं
अक्सर लाड़ प्यार के कारण बच्चे जिद करना सीख जाते हैं। किसी चीज की चाह होने पर वह जब तक उसे हासिल नहीं कर लेते, तरह तरह के टैंट्रम देते हैं। लेकिन बच्चों की हर जिद को पूरा न करें। जिद करने पर उसे डांटे नहीं, इससे उनका जिद करना कम नहीं होगा, बल्कि दूसरी बातों या कामों में उनका ध्यान लगाएं ताकि वह अपनी जिद भूल जाएं।
अंजाम बताएं
बच्चे को हमेशा बताएं कि अच्छा करने पर क्या परिणाम होगा और कुछ गलत करने पर क्या अंजाम हो सकता है। किसी काम के लिए जब आप बच्चे को मना करते हैं तो वह समझ नहीं पाते कि आप उन्हें उस काम को करने से क्यों रोक रहे हैं। ऐसे में वह अक्सर आपके रोकने के बाद भी कई गलतियां करते हैं, लेकिन जब उन्हें अंजाम के बारे में पता होगा तो वह गलत काम करने से बचेंगे।
तारीफ करें
जब बच्चा कुछ अच्छा करे तो उसे प्रोत्साहित करें। घर के छोटे मोटे कामों में उनकी मदद लें। जिसे पूरा करना पर उनकी तारीफ करें। बच्चा अभिभावक के मुंह से खुद के लिए तारीफ सुनकर अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित होगा और आगे भी बेहतर करने की कोशिश करेगा।

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